भाजपा से अशोक बाबा का नाम लगभग तय, नरेन्द्र तोमर खेमे ने डाला अडंगा

शिवपुरी। नपा अध्यक्ष के भाजपा टिकिट दावेदारी की ल बी लिस्ट कटछट के अब छोटी होते-होते अशोक बाबा के नाम पर रूक गई है। अशोक बाबा का नाम लगभग फायनल ही मना जा रहा है।

अशोक बाबा का नाम यशोधरा राजे सिंधिया ने आगे किया है। सूत्र बता रहे है कि विगत दिवस स्थानीय टूरिस्ट विलेज में भाजपा चयन समिति की मैराथन बैठक चली जिसमें समिति के सभी आठों सदस्यों ने अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर संभागीय समिति को भेज दिया है जिसका फैसला संभागीय समिति करेगी।

सूत्र बताते हैं कि बैठक में यशोधरा खेमे से अशोक बाबा का सिंगल नाम सामने आया था, लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर खेमे के चयन समिति के चार सदस्यों ने इसका विरोध किया और सिंगल नाम के स्थान पर पैनल भेजने का समर्थन किया। पैनल में पूर्व विधायक माखनलाल राठौर, संघ से जुड़े राजू बाथम और हरिओम राठौर बतासे वाले का नाम जोड़े जाने की खबरें उभर कर आ रहीं हैं।

वहीं अधिकांश वार्डों में पार्षद पद के प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं जिस कारण कुछ वार्डों में तय नामों को लेकर विरोध भी होना शुरू हो गया है। वहीं कुछ वार्डों में अभी भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। अब देखना यह है कि अब अध्यक्ष पद पर चारों उ मीदवारों के नामों में से किसकी लॉटरी खुलती है। उपरोक्त चारों नाम पर आम सहमति न बनने पर कोई अन्य नाम उभरकर सामने आ सकता है।

पैनल में पहुंचाये गये नामों पर अंतिम मोहर संभागीय समिति लगाएगी और कल तक अध्यक्ष और पार्षदों के अधिकृत नामों की घोषणा होने की संभावना है। यहां बता दें कि अध्यक्ष पद के लिये चयन समिति के पास 27 नाम आये थे जिनकी समिति के सदस्यों ने छटनी की और यशोधरा खेमे से एक सिंगल नाम अशोक बाबा का सामने आया।

इसी एक नाम को यशोधरा खेमे ने संभागीय चुनाव समिति में भेजने को कहा, लेकिन उस पर विवाद गहरा गया और नरेन्द्र सिंह तोमर खेमे ने सिंगल नाम का विरोध करते हुए पैनल तैयार करने के लिये कहा जिसमें आश्चर्यजनक रूप से पूर्व विधायक माखनलाल राठौर का नाम सामने आया, वहीं राजू बाथम और हरिओम राठौर के नाम को भी पैनल में शामिल किये जाने की पेशकश श्री तोमर खेमे ने की।

सूत्र बताते हैं कि सिंगल नाम पर विवाद गहराता देख नामों का पैनल तैयार किया गया और उस पैनल पर अंतिम मोहर लगाने के लिये संभागीय समिति को भेज दिया गया। जिस पर अब मोहर लगना बाकी है। अगर पैनल में पहुंचाये गये नामों पर आम सहमति नहीं बनती है तो ऐसी स्थिति में कोई अन्य नाम उभरकर सामने आने की पूरी-पूरी संभावना बन रही है।