उपभोक्ता फोरम का फैसला: समान की जिम्मेदारी रेलवे की, चोरी के माल का मुआवजा देने के आदेश

शिवपुरी ब्यूरो। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम के अध्यक्ष एके वर्मा और सदस्य श्रीमती अंजू गुप्ता ने अपने यहां रेलवे के विरूद्ध ल िबत परिवाद में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि रिजर्व कोच में यात्री के सामान की सुरक्षा की जि मेदारी रेलवे पर हैं।

उपभोक्ता फोरम ने महिला यात्री को राहत देते हुए रेलवे को आदेश दिया कि वह उसे उसकी रेलवे के रिजर्व कोच में चुराई गई सोने की चैन की कीमत 35 हजार रूपए अदा करे साथ ही रेलवे को परिवादी का प्रकरण व्यय दो हजार रूपए देने का आदेश भी पारित किया गया। हालांकि रेलवे के अभिभाषक ने दलील प्रस्तुत की कि  किसी यात्री के व्यक्तिगत सामान की चोरी के लिए रेलवे को जि मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 

रेल में यात्रा करने वाले व्यक्ति के सामान की सुरक्षा का दायित्व रेलवे पर केवल उसी स्थिति में होता है जब सामान को लगेज के रूप में बुक कराकर उसकी रसीद प्राप्त की जाए। उक्त चैन लगेज के रूप में बुक नहीं कराई गई थी। ऐसी स्थिति में चैन के चोरी चले जाने का कोई उत्तरदायित्व रेलवे पर नहीं है। 

जबकि परिवादी मनीषा शर्मा के अभिभाषक ने दलील दी कि रेलवे के आरक्षित कोच में यात्रा करते समय यात्री के सामान की सुरक्षा की जि मेदारी रेलवे विभाग की होती है और परिवादी के सामान की सुरक्षा करने में रेल विभाग पूर्र्णत: विफल रहा है जो सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। 

इस मामले में आवेदिका मनीषा शर्मा ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया कि उसने 4 अप्रैल 2015 को देहरादून एक्सप्रेस से पचोर रेलवे स्टेशन से शिवपुरी आने के लिए आरक्षित कोच में अपनी सीट बुक कराई। यात्रा करते समय बदरवास रेलवे स्टेशन से शिवपुरी के मध्य एक अज्ञात चोर ने उसके गले से एक सोने की चैन जिसमें पान जैसा लॉकेट लगा था, चुरा ली। 

उक्त चैन लगभग डेढ तोला की थी। जिसकी कीमत 35 हजार रूपए की थी। उसका कहना है कि चोरी होने के बाद उसने जीआरपी पुलिस कर्मियों एवं कर्मचारियों को सूचना देना चाही किन्तु कोच में रेलवे का कोई अधिकारी, कर्मचारी व पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। इस कारण वह घटना के बारे में किसी को नहीं बता पाई।

 मध्य रात्रि शिवपुरी रेलवे स्टेशन पर उतर कर उसने घटना की रिपोर्ट रेलवे पुलिस के समक्ष दर्ज कराई। लेकिन आज तक संबंधित चोर के बारे में कोई जानकारी पुलिस द्वारा नहीं दी गई और न ही उक्त प्रकरण में कोई रूचि ली गई। 

रेलवे प्रशासन का यह कृत्य सेवाओं में स्पष्ट कमी का घोतक है। इस मामले में कई न्यायिक दृष्टांतों पर विचार करते हुए उपभोक्ता फोरम ने माननीय राष्ट्रीय आयोग के फैंसले के हवाले से कहा कि अनारक्षित कोच एवं आरक्षित कोचों में यात्रा करने वाले व्यक्ति यह न्यूनतम अपेक्षा रखते है कि उनकी यात्रा सुरक्षा पूर्वक संपन्न हो। सामान्यत कोई व्यक्ति अपने सामान की युक्तियुक्त दे ारेख करता है।

 किन्तु रेल में यात्रा करने वाले किसी व्यक्ति यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अवांचित तत्वों के कोच में प्रवेश को रोके। यह दायित्व रेलवे प्रशासन का होता है और टीटीई पर इसकी जि मेदारी होती है। रेलवे की ओर से हालाकी दलील दी गई कि वह प्रत्येक शयन कोच में टीटीई की उपस्थिति का कोई नियम नहीं है। फोरम के अनुसार यदि यह दलील स्वीकार कर ली गई तो टीटीई के दायित्वों के संबंध में निर्मित सूची में वर्णित दायत्विों का कोई अर्थ शेष नहीं रह जाएगा।