शिवपुरी-शहर में इन दिनों सूअरों को लेकर राजनीति गर्मा गई है एक ओर जहां शिवपुरी की नव निर्वाचित विधायक यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया सूअरों को शहर से भगाने को लेकर लामबंद्ध है और इसके लिए उन्होंने नपा को भी अल्टीमेटम दे दिया है
जिसकी म्याद 20 दिसम्बर को खत्म हो चुकी है तो वहीं दूसरी ओर अब सूअरों को बचाने के लिए एड.पीयूष शर्मा आगे आए है उन्होंने सूअरो को बचाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है इस मामले में उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि सूअर शहर से बाहर हुए तो वह यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ सकते हैं। अब शिवपुरी में सूअरों की राजनीति गर्मा गई है देखना होगा कि इस वाकयुद्ध का क्या परिणाम निकलता है।
प्रेस को जारी अपने बयान में एड.पीयूष शर्मा ने कहा कि शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया शहर से सूअरों को बाहर करने के लिए लामबंद्ध हो रही है मगर इन सूअरों को शहर से बाहर करने की आवश्यकता क्यों आई, यह उन्होंने बिल्कुल नहीं सोचा यदि वह जनता की सुख दु:ख में शामिल होने की बात कहती है तो उन्हें इन सूअरो की देखभाल करने की भी जरूरत है क्योंकि मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवरों की देखरेख की जबाबदारी भी यशोधरा को होनी चाहिए यदि वह अपने कर्तव्य को पूर्णता के साथ नहीं निभा सकती तो उन्हें इस पद पर रहने की आवश्यकता नहीं, बाबजूद इसके यदि शहर से सूअरों को बाहर किया जाता है तो उनके विरूद्ध भी आईपीसी एवं अन्य अधिनियमों की विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध हो सकता है, सूअर मालिकों को होने वाले नुकसान से बचाने और शहरवासियों को सूअरों से मुक्ति दिलाने के लिए कांजी हाउस बनाया गया लेकिन यह कांजी हाउस यशोधरा को नजर नहीं आता, आज से तीन साल पूर्व फतेहपुर में कांजी हाउस का निर्माण कराया गया और उसे ताला बंद कर दिया जिसमें आज तक कोई जानवर ना तो बंद हुआ और ना ही इसका शुभारंभ हुआ जिससे आज यह वीरान अवस्था में पड़ा हुआ है, यदि यह कांजी हाउस को शुरू कर दिया जाए तो काफी हद तक सूअरों पर भी और आवारा जानवरो पर भी रोक लग सकेगी। इस आरोप के बाद एड. पीयूष शर्मा ने विधायक यशोधरा राजे सिंधिया पर निशाना साधा है और यशोधरा के द्वारा सूअरों का विरोध दर्ज करने पर पीयूष शर्मा ने सूअर मालिको और सूअरो की पीड़ा को समझते हुए उनका पक्ष लिया।
एड.पीयूष शर्मा ने बताया कि सूअर मालिकों को होने वाले नुकसान से उन्हे बचाया जाए नाकि उनकी समस्याओं को बढ़ाया जाए लेकिन शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया अपने नैतिक कर्तव्य से विमुख हो रही है उन्हें मानना चाहिए कि जिस प्रकार से शिवपुरी की जनता उनके साथ है वैसे ही शहर के सूअर भी सूअर मालिकों के साथ है ऐसे में सूअर मालिकों और सूअरो की देखरेख की जिम्मेदारी यशोधरा को लेना चाहिए, इसके लिए उन्हें सूअरों को विस्थापित करने के लिए पर्याप्त समयावधि सूअर मालिकों को दी जानी चाहिए, उनके प्रतिस्थापना की व्यवस्था कराई जानी चाहिए अन्यथा उन्हें विस्थापित नहीं किया जा सकता, यूं तो पुराना कांजी हाउस भी शहर में है लेकिन इस कांजी हाउस की दुर्दशा व देखरेख के कारण सूअर व अन्य आवारा जानवर शहर में भटकते रहते है इसलिए यशोधरा को विकास की राजनीति करते हुए कांजी हाउस को व्यवस्थित करना चाहिए और यहां सूअर ही नहीं बल्कि अन्य आवरा जानवरों के रहन सहन, खान-पान और स्वास्थ्य संबंधी सेवाऐं प्रदान करने के लिए तत्पर रहना चाहिए लेकिन एक जनप्रतिनिधि के नाते उनके द्वारा सूअरों को शहर से भगाना गलत निर्णय के समान है इसलिए सूअर मालिकों की भावनाओं को समझते हुए सूअरों को विस्थापित करने के लिए कार्य करना आवश्यक है।
लेंगें मेनका गांधी का सहारा
एड.पीयूष शर्मा ने कहा कि यदि यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया द्वारा सूअरों को शहर से भगाया जाता है तो वह हाईकोर्ट की शरण लेकर कार्यवाही कराने को बाध्य होंगें। इसके लिए सूअर मालिक भी उनके साथ है क्योकि उनके भरण-पोषण में सूअरों की भी महती भूमिका रहती है। एड.पीयूष शर्मा इसके लिए जीव-जन्तुओं की सुरक्षा व संरक्षण के लिए कार्यरत मेनका गंाधी से भी संपर्क करने में लगे हुए है और वह मेनका गांधी को पूरे मामले से अवगत कराकर इस मामले में आगे कार्यवाही की बात कह रहे है।
यह हो सकती है कानूनी कार्यवाही
इस मामले में कानूनी जानकारी देते हुए एड.पीयूष शर्मा द्वारा बताया गया है कि इस मामले में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 429,पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11(क)(घ)(ण)(झ) के तहत कार्यवाही हो सकती है तो दूसरी ओर इस प्रकरण में सूअर मालिकों के विरूद्ध भी कार्यवाही की जा सकती है जिसमें पशु अतिचार अधिनियम 1871 के तहत कार्यवाही होने का भी प्रावधान है।
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