अतिक्रमण हटाने में नाकाम पार्क प्रबधंन, कैसी होगी टाईगरो की आमद

शिवपुरी। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाईगर लाने के लिए सबसे पहली शर्त थी कि पार्क को अतिक्रमण मुक्त किया जाए और पार्क का दायरा बडाया जाए। पार्क ने ग्रामीणो को मुआवजा तो बांट दिया परन्तु गांव खाली नही करवा सका है। इस कारण टाईगरो की दहाड़ से पार्क वचिंत है। 

वन विभाग ने माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर की बसाहट के लिए एक प्रस्ताव बना कर केंद्र सरकार के पास भेजा था। जिस पर केंद्रीय वन्य प्राणी मंत्रालय ने पार्क क्षेत्र का दायरा बढाने के लिए 5 गांव खाली कराने के निर्देश दिए थे। 

शासन ने सतनवाडा के एलखनगवां एबरखेडी सहित 3 और गांव खाली करने के प्रयास शुरु किए थे। इस संबंध में 18 करोड के आस-पास मुआवजा भी बांट दिया गया। लेकिन 22 परिवारों के कोर्ट में चले जाने की वजह से मामला लटक गया। 

वन विभाग का कहना है कि इन 22 परिवारों को देख कर जिन लोगों ने पहले मुआवजा ले लिया वो भी वहां आकर दोबारा बस गए हैं। उन लोगों का कहना है कि जब ये लोग चले जाएंगे तो हम भी चले जाएंगे। शनिवार की शाम को वन विभाग के अफसर फिर से इन लोगों को समझाने पहुंचे थे। लेकिन बात नहीं बनी। 

नेशनल पार्क प्रबंधन का कहना है कि बांधवड, एरणथंबौर, पन्ना, कान्हां जिलों में टाइगरों की संख्या सरप्लस है। इन्हीं जिलों के पार्को से शिवपुरी के नेशनल पार्क में टाइगर लाने की योजना है। प्रस्ताव बना कर तैयार हो चुका है अगर ये लोग गांव खाली कर दें तो बहुत जल्द यहां आने वाले पर्यटकों को यहां जंगल में टाईगरो की दहाड सुनाई देने लगेगी। 

बसाहट हटे तभी बाघ आना होगा संभव 
22 परिवारों की वजह से यहां पार्क में टाइगर की बसाहट का मामला लेट हो रहा है। मुआवजा बांटा जा चुका हैए 18 करोड रुपए बांट देने के बाद भी लोग गांव खाली नहीं कर रहे हैं। इन्हीं की वजह से कॉरिडोर नहीं बन पा रहा है। गांव के खाली होने के बाद हम सरप्लस बाघों वाले पार्को से बाघ की बसाहट यहां करा सकते हैं। 
नरेन्द्र सिंह, असिस्टेंट डायरेक्टर माधव नेशनल पार्क