शिक्षा विभाग: जहां धमाका हुआ वह शीशे का घर सुरक्षित कैसे..?

ललित मुदगल@ एक्सरे/शिवपुरी। विगत दिवस मप्र शासन के शिक्षा मंत्री के दौरे के समय जिले के तैंदुआ स्थित छात्रावास की दलित छात्राओं को मंत्री महोदय के स्वागत के लिए भूखा खड़ा कर दिया और इनमें से 1 दलित छात्रा को चक्कर आने से बेहोश हो गई। इस छात्रावास में एक गंभीर लापरवाही हुई और परिणाम स्वरूप इस धमाके में शिक्षा विभाग के दोनो बड़े अफसर उड़ गए परन्तु जहां धमाका हुआ वह शीशे का घर अभी भी सुरक्षित है। 

मतलब सीधा और साफ है कि जहां इतनी गंभीर लापरवाही बरती गई। वह छात्रावास आज भी उसी अधीक्षिका के हाथों संचालित हो रहा है जिसने भूखी छात्राओं को मंत्री के स्वागत में सड़क किनारे घंटो खड़े रखा। 

यह अपने आप में एक अजब बाकया हो गया है। सब कुछ शिक्षा मंत्री के सामने हुआ। मंत्री ने भोपाल पहुंचकर निलंबन आदेश जारी किये। आदेश में तीन अधिकारियों के नाम थे परन्तु प्रभाव तीनों पर अलग अलग तरह का दिखाई दे रहा है। 

डीईओ आॅफिस
डीईओ गिल इस आदेश के जारी होते ही छुट्टी पर चले गये। ग्वालियर से डिप्टी डायरेक्टर आये और उनकी कुर्सी पर बैठ गये। सब कुछ ऐसा चल रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। 

डीपीसी आॅफिस
डीपीसी शिरोमणि दुबे ने मंत्री के आदेश को मानने से इंकार कर दिया। आदेश को विसंगतिपूर्ण बताते हुये चुनौ​ती दी। चार्ज लेने आये डिप्टी डायरेक्टर दीपक पाण्डेय को जलील किया। कलेक्टर की मौजूदगी में तीखी नौक झौंक की और श्री पाण्डेय को आॅफिस में घुसने तक नहीं दिया। 

कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास
यहां सब कुछ ऐसे चल रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। ना मंत्री जी के आदेश का सम्मान किया गया, ना आदेश को चुनौती दी गई। ना कोई चार्ज लेने आया, ना किसी को चार्ज दिया गया। कुल मिलाकर जिस शीशे के घर में धमाका हुआ वहां तो दरार तक नहीं आई। 

इसे मजेदार ही कहेंगे कि इस गंभीर चूक के बाबजूद छात्रावास अधीक्षिका श्रीमति रेखा वर्मा के खिलाफ डीपीसी ने भी कोई जांच शुरू नहीं की। कलेक्टर भी ऐसे चुप हैं जैसे पड़ोसी जिले का मामला हो। ना मंत्री के आदेश की पालना, न अपने अधिकारों का उपयोग। जो हो रहा है बस देखे जा रहे हैं।