सिंध की तपस्या से पानी तो नही मिला परन्तु धूल जरूर प्रकट हो गई

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शिवपुरी। पिछले 35 सालो से शहर सिंध की तपस्या कर रहा है परन्तु सिंध का पानी नही मिला,हां सीवर की धूल अवश्य शहर वासियो को मिल रही है।

शिवपुरी के लिए सीवेज प्रोजेक्ट इसलिए मंजूर किया गया था क्योंकि सिंध जलावर्धन योजना स्वीकृत हो गई थी और इसके स्वीकृत हो जाने से शिवपुरी में पानी का कोई टोटा नहीं रहने वाला था। सीवेज प्रोजेक्ट मु य रूप से सिंध जलावर्धन योजना से जुड़ा हुआ है। शहर में सीवेज  प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया।

पूरे शहर को खोद दिया गया, चारों ओर धूल का प्रदूषण व्याप्त हो गया। नागरिक उड़ती धूल के कारण बीमार होना शुरू हो गये। बरसात होने से धूल कीचड़ में तब्दील हो गई और इसमें मक्खी, मच्छर पनपने लगे वहीं कीचड़ में वाहन चालकों का गिरना भी शुरू हो गया।

खुदाई और पाइप लाइन डालने के बाद सड़कों के समतलीकरण का कार्य भी नहीं किया गया। जिससे समस्या और गंभीर हुई। दूसरी ओर सिंध जलावर्धन योजना पर खतरे के बादल मंडऱा गये। नेशनल पार्क क्षेत्र के अलावा भी सिंध जलावर्धन योजना का कार्य दो वर्षों से रुका हुआ है। शहर में पाइप लाइन नहीं डाली गई है।

सिंध जलावर्धन योजना का कार्य करने वाली क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी कार्य छोड़कर जा चुकी है। 111 करोड़ की योजना ठप्प होती हुई दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में दो खतरे हैं। पहला तो यह है कि यदि सिंध का पानी शिवपुरी नहीं आया तो सीवेज प्रोजेक्ट पानी के अभाव में कैसे चलेगा।

 दूसरा खतरा यह है कि जब तक सिंध जलावर्धन योजना के तहत शहर में पाइप लाइन डालने का कार्य नहीं होगा तब तक सड़कें कैसे डाली जाएंगी और उस स्थिति में अनिश्चितकाल तक धूल धूसरित सड़कों के बीच शहरवासियों को जीवन व्यतीत करना होगा।

इसी कारण सिंध के पानी के लिए उत्कंठा और उतावलापन शुरू हुआ। सिंध का पानी एक दो साल नहीं आता तो भी कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन धूल से परेशान लोगों ने निजात पाने हेतु पानी के लिए शंखनाद किया।

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