कछुआ चाल का भी रिकार्ड तोड गई सीईओ नरवरिया के 61 लाख के घोटोले की जांच

लोकेन्द्र सिंह/शिवपुरी। जिले में घोटालो की एक लम्बी लिस्ट है। और वह जांच के नाम पर सरकारी टेबलों पर दम तोड देते है। भ्रष्टाचार के बाद जांच में भी भ्रष्टाचार किया जाता है। ऐसे ही एक 61 लाख रूपए के सामान खरीदी घोटाले को जांच के नाम पर सरकारी टेबिल पर ही फांसी पर लटका दिया है।  या यू कह लो कि जांच के नाम पर इस घोटाले का लटका दिया है,नही है तो कछुआ चाल से भी धीमी गति से नही चलती एसडीएम ऑफिस से कलेक्टर केबिन तक यह जांच 22 महिने में नही चल पाई। इस घोटाले की शिकायत एक आम आदमी ने नही बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त) ने मय प्रमाणों के सीधे तात्कालिन कलेक्टर से की थी। 

बताया गया है कि सचिवों के प्रशिक्षण के नाम पर यह घोटाला पकाया गया था। शिकायत कर्ता जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति कमला यादव ने 20 दिसंबर 16 को कलेक्टर शिवपुरी से एक शिकायती आवेदन और इस घोटाले से जुडे तथ्य सौंपे थे। शिकायत कर्ता ने कलेक्टर शिवपुरी से आग्रह किया था कि इस घोटाले की जांच कर दोषी के खिलाफ  सख्त कार्यवाही की जाए।

शिकायतकर्ता ने जो प्रमाण सौपे थे इन प्रमाणों को पढकर यह लगता है कि पंचायत प्रशिक्षण के नाम पर सरकारी फंड को ठिकाने लगाने के लिए पूरा ताना बना तात्कालिन जनपद पंचायत सीईओ एनएस् नरवरिया ने बुना है। शिकायतकर्ता ने शिकायत में लिखा है कि जब मैने सचिव प्रशिक्षण संस्थान कोठी नं 26 में निरिक्षण किया तो मुझे इस संस्थान के प्राचार्य दिवाकर चितले उपस्थित थे। उन्है इस संस्थान के आहरण के अधिकार नही मिले। 

उक्त आहरण के अधिकार जनपद पंचायत शिवपुरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एन एस नरवरिया के पास है। इस मामले मे शासन के आदेश क्रमांक पंचाण् 351/2015/5566 दिनांक 30.5.2015 से दिवाकर चितले का स्थानान्तरण प्राचार्य के पद पर हुआ था लेकिन एन एस नरवरिया ने चार्ज नहीं दिया था। 

शिकायत कर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि सरकारी बजट को ठिकाने लगाने के लिए कूलर, पलंग, अलमारी, स्टूल, पानी, टेंट और अन्य समाग्री खरीद पर खर्च किए गए है। जो समान खरीदा गया है उनकी रेट से बाजार रेट से ज्यादा है। इस समाग्री की खरीदने की कोई आवश्यता नही थी। इस खरीद कांड में शासन के लगभग 61 लाख रूपयो को ठिकाने लगाया गया है। 

इस घोटोले की शिकायत अद्र्व शासकीय पत्र क्रमांक से दिनांक 20 दिसंबर 16 को की गई थी। आज दिनांक तक इस शिकायत को लगभग 22 महिने और 660 दिन 15840 घटें हो चुके है। जांच के नाम पर इस घोटोले को दबा रखा है। 

इस घोटाले की शिकायत के बाद तात्कालिन कलेक्टर ने जांच के आदेश करते हुए तात्कालिन एडीएम नीतु माथुर को बनाया गयाए उन्होने इस घोटाले की जांच करने से मना कर दिया इसके बाद इस घोटाले का जांच अधिकारी जिला पंचायत सीईओ डीके मोर्य को बनया गया। इसके बाद इस घोटाले की जांच करने के लिए अपर कलेक्टर को नियुक्त किया गया। इस घोटाले के जांच ने अपने 3 अधिकारी बदल दिए हैए परन्तु जांच पूरी नही हो सकी है। 

अभी भी इस घोटाले की फ ाईल का जांच के नाम पर किसी सरकारी टेबिल पर पडे-पड़े दम घुट रहा है। और उधर इस घोटाले के रचियता कर्ता-धर्ता का का जनपद पंचायत सीईओ एसएन नरवरिया का प्रमोशन हो गया अब वे गुना जिले के जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ है। 

इस मामले की शिकायर्ता जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति कमला-बैजनाथ सिंह यादव का कहना है कि भाजपा के इस राज्य में घोटाले करने वालो के अच्छे दिन आ गए है। उदाहरण के लिए इस घोटाले को ले ले लिजिए। इन अधिकारी महोदय पर कार्रवाई होने के बजाए प्रमोशन हो गया। 

इनका कहना है
इस घोटाले की शिकायत करते समय मैने कलेक्टर महोदय को पूरे कागजात सौपे थेए इन दास्तावेजो में ही यह घोटाले प्रमाणित था। इतनी लंबी जांच करने की आवश्यकता ही नही थी। इन अधिकारी महोदय ने लाखो रूपए अपने ही बाबूओ को अग्रिम भुगतान के नाम पर दिए है। पीने के पानी पर लाखो रूपए और टेंट किराए पर भी लाखो रूपए खर्च किए है। बल्कि इस कोठी में कभी टेंट लगा ही नही है। समान भी अकारण ही बाजार से दस गुना रेटो में खरीदा था।
इस मामले की शिकायतकर्ता
श्रीमति कलमा यादव,अध्यक्ष जिला पंचायत शिवपुरी 

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