एक कोठी पर 2 साल में पुताई और टेंट किराए के नाम पर खर्च कर दिए 14 लाख: सीईओ नरवरिया का घोटाला

लोकेन्द्र सिंह, शिवपुरी। पिछले दिनो शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने पंचायत विभाग को एक घोटाले का उजागर किया था। इस घोटाले में पंचायत सचिव प्रशिक्षण के नाम पर लगभग 61 लाख रू का घोटाला तात्कालिन जनपद पंचायत सीईओ और प्रशिक्षण प्रभारी एसएन नरवरिया ने किया था। इस घोटाले की शिकायत राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त शिवपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति कमला यादव ने दिनाक को सीधे तात्कालिन कलेक्टर शिवपुरी से की थी। इस घोटाले को शिकायत 20 दिसंबर 16 को की गई थी। अब तक इस शिकायत को लगभग 530 दिन 12720 घटें हो चुके है। उक्त घोटाले की जांच की फाईल जिला पंचायत के आफिसरो की टेबिल पर पडी-पडी न्याय की गुहार लगा रही है। 

इस घोटाले के शिवपुरी समाचार डॉट कॉम को कुछ दस्तावेज हाथ लगे है। सचिवप प्रशिक्षण सस्थान (26 नं. कोठी ) की पुताई में लगभग 11 लाख रू का खर्चा डाला गया है। और सचिव प्रशिक्षण के नाम पर लगाए गए टेंट में 3 लाख रू के बिल वाऊचर फाडे गए है। इसमे सबसे मजदार बात यह है कि इस सचिव प्रषिक्षण सस्ंथान के प्राचार्य प्रभाकर चितले ने मिडिया को दिए गए बयान में कहा था कि इस केन्द्र के हॉल और कमरे इतने बड़े है कि टेंट की यहां कोई आवश्यकता नही है। 

ऐसे पकाया नरवरिया ने इस घोटाले को
शिकायतकर्ता ने जो प्रमाण सौपे थे इन प्रमाणों को पढकर यह लगता है कि पंचायत प्रशिक्षण के नाम पर सरकारी फंड को ठिकाने लगाने के लिए पूरा ताना बना तात्कालिन जनपद पंचायत सीईओ एस एन नरवरिया ने बुना है। शिकायतकर्ता ने शिकायत में लिखा है कि जब मैने सचिव प्रशिक्षण संस्थान कोठी नंबर 26 में निरिक्षण किया तो मुझे इस संस्थान के प्राचार्य दिवाकर चितले उपस्थित थे। उन्है इस संस्थान के आहरण के अधिकार नही मिले। 

उक्त आहरण के अधिकार जनपद पंचायत शिवपुरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एन एस नरवरिया के पास थे। इस मामले मे शासन के आदेश क्रमांक पंचा 351/2015/5566 दिनांक 30.5.2015 से दिवाकर चितले का स्थानान्तरण प्राचार्य के पद पर हुआ था लेकिन एन एस नरवरिया ने चार्ज नहीं दिया था। सचिवो के प्रशिक्षण के लिए आए फंड में बंदरबांट करने के कारण ही प्रभाकर चितले को चार्ज नही दिया गया। 

प्रभाकर चितले प्राचार्य होते हुए शिक्षको का कार्य कर रहे थे। इस घोटोले में जबरिया समान क्रय किया गया और जबरिया खर्चे दिखाए गए है। अगर इस घोटाले की ईमानदारी से जांच होती है तो यह घोटाला 60 लाख से भी ज्यादा का हो सकता है।