पोहरी चुनाव: दोनों ही पार्टीयों की हालत खराब, आखिर कैसे बने सहमति | Pohri News

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सतेन्द्र उपाध्याय, पोहरी। जिले के पोहरी में होने वाले चुनाव को लेकर दोनों पक्ष पुर जोर अपने अपने आंकडे फिट करने में जुटे हुए है। दोनों ही पार्टीयों के दिग्गजों ने लगभग सभी टिकिटार्थीयों को टिकिट फायनल करने भरोसा देकर तैयारी करने की कहकर चलता कर दिया है। सभी दिग्गज अपना टिकिट फायनल मान रहे है। परंतु पार्टी अभी किसी भी नाम पर मौहर नहीं लगा पाई है। दोनों ही पार्टी अपने अपने हिसाब से रायशुमारी कर रही है। जब किसी एक नाम की हवा आगे आती है तो भाजपा के दावेदार भोपाल तो कांग्रेस के दाबेदार दिल्ली के लिए दौड लगा रहे है। जहां दोनों ही पार्टीयों के दावेदारों को लोलीपॉप पकड़ाकर वापिस भेज दिया जा रहा है। 

कुछ भी हो चुनाव से पहले टिकिट को लेकर चल रही इस मगजमारी में सभी दाबेदारों की हालात पतली कर दी है। भाजपा से वर्तमान विधायक प्रहलाद भारती अपना टिकिट विकास और लगातार दो बार जीतने के आकलन पर पूरी तरह से फायनल मान रहे है। परंतु यहां आंकडा पुराने विकाश को छोडकर जातिगत चलता है। जिसके आधार पर आलाकमान नरेन्द्र बिरथरे या सोनू बिरथरे को टिकिट देकर इस सीट पर कब्जा जमाना चाहती है। 

इसके विपरीत यही हालात यहां कांग्रेस की हो रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीबल्लभ शुक्ला बीते दो बार से यहां से चुनाव हार रहे है। उसके बाबजूद भी जातिगत समीकरण का हबाला देकर वह अपना टिकिट फायनल मान रहे है। परंतु यहां भी हालात अत्यंत दयनीय है। कांग्रेसी ही कांग्रेसी को काटने पर उतारू है। कांग्रेसी हरीबल्लभ शुक्ला को छोड किसी भी नाम पर सहमति जताने तैयार है। लेकिन कांग्रेस अभी इस आपाधापी में है कि अगर भाजपा ने किसी ब्राहमण उम्मीदबार को मैदान में उतारा तो हरीबल्लभ शुक्ला का पत्ता कटना तय है। इस स्थिति में कांग्रेस धाकड समाज से प्रधुम्मन वर्मा पर अपना दाब लगा सकती है। 

वही इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से बहुजन समाज में पहुंचे कैलाश कुशवाह ने इस क्षेेत्र में भाजपा के प्रत्याशी की हबा टाईट कर दी है। प्रहलाद भारती लगातार कैलाश कुशवाह को मनाने में लगे हुए है। भाजपा अभी तक मानकर चली आ रही है कि कुशवाह समाज इस क्षेत्र में उसका बोट बैंक है जिसमें अगर कैलाश को टिकिट मिला तो वह भाजपा के लिए खतरा खडा सकता है। वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के लाखन बघेल ने 35 हजार के लगभग बोट समेट कर इस क्षेत्र में बसपा का पूरा जोर दिखाया था। जिसे देखकर भाजपा पूरी तरह से टूटती नजर आ रही है। 

अब इस चुनाव में तत्काल क्या समीकरण बैठते है यह तो चुनाब में प्रत्यासी घोषित होने के बाद ही स्पस्ट होगा। परंतु अगर बात चुनाबी चर्चा की करें तो चाय पर चर्चा में सामने आया कि इस बार अगर भाजपा प्रहलाद भारती पर विश्वास करती है तो इस बार भाजपा को इस क्षेत्र में सीट से हाथ धोना पड सकता है। इसमें सबसे ज्यादा जो फैक्टर समाने आए है वह विधायक द्वारा क्षेत्रीय मामलों में पार्टी को छोड जातिवाद का समर्थन किया। इसका खामियाजा इन्हें उठाना पड सकता है। 

बात कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीबल्लभ शुक्ला की करें तो इनकी भी स्थिति क्षेत्र में किसी से छुपी नही है। लगातार दो चुनाव हार जाने के बाद यह इस क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। इन्होंने चुनाव हार जाने के बाद क्षेत्रीय लोगों से संपर्क पूरी तरह से तोड दिया। अब जैसे ही चुनाव आए यह फिर सक्रिय हो गए। जिसके चलते इन्हें इस चुनाव में क्षेत्रीय लोगों का सामना करना पड सकता है। 

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