पोषद भवन में मनाया साध्वी आभाश्री का जन्मदिन

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शिवपुरी। प्रसिद्ध जैन साध्वी आभाश्री जी महाराज का जन्मदिवस शनिवार को पोषद भवन में उत्साहपूर्वक मनाया गया। उनकी सांसरिक मां और आध्यात्मिक गुरूणी साध्वी विभाश्री ने उन्हें कोहिनूर हीरा बताते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व में संवेदनशीलता और दृढ़ता का अदभुत समिश्रण है। संवेदनशीलता के कारण ही उनके जीवन में एकाएक चमत्कारिक परिवर्तन आया और दृढ़ता इतनी थी कि वह तमाम विरोधों के बाद भी संयम पथ पर अग्रसर होने से विचलित नहीं हुईं। अशोक कोचेटा ने अपने उद्बोधन में कहा कि उन्होंने अपने संयम जीवन के 14 सालों में एक-एक क्षण का  सदुपयोग कर अपने आपको परिमार्जित किया है। श्रावक और कवि अशोक जैन ने अपनी भावनाएं एक कविता के माध्यम से स्पष्ट करते हुए उन्हें भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। श्रावक धर्मेंद्र जैन ने एक गीत के माध्यम से अपनी भावनाएं स्पष्ट की। 

धर्मसभा के पूर्व भूपेंद्र कुमार श्रीमाल की ओर से नवकार महामंत्र के पाठ का आयोजन किया गया। इसके बाद धर्मसभा में साध्वी विभाश्री ने कहा कि साध्वी आभाश्री ने न केवल अपने आपको बल्कि मुझे भी तारा है। उन्होंने कहा कि मैं सांसरिक रूप से उनकी मां हूं और जब से वह हमारे परिवार में आईं है तब से ही दीक्षा लेने की भावना मुझमें प्रबल हुई, लेकिन कभी संसार तो कभी साधु-संतों की ओर से अनुमति नहीं मिली। 

परंतु मेरी सांसरिक पुत्री के मन में जब दृढ़तापूर्वक दीक्षा का विचार आया तो उन्होंने न केवल स्वयं दीक्षा ली बल्कि मुझे भी दीक्षित होने का अवसर प्रदान किया। साध्वी ने कहा कि संतानें हर घर में जन्म लेती हैं, लेकिन साध्वी आभाश्री जैसी संताने विरली ही होती हैं जो अपने साथ-साथ दूसरों का जीवन भी सफल और सार्थक बनाती हैं। अंत में साध्वी आभाश्रीजी ने विनम्रतापूर्वक कहा कि अभी मैं उतनी महान नहीं हूं कि मेरा जन्मदिवस मनाया जाए। 

उन्होंने अपनी तुलना करते हुए कहा कि मैं उस अथाह सागर की एक बूंद के छोटे  से छोटे हिस्से के समकक्ष भी अभी नहीं हूं। इसलिए आपकी सभी भावनाएं मैं अपने गुरूवर के चरणों में  समर्पित कर रही हूं। गुरू ही हैं जिन्होंने मुझे आत्मा से परमात्मा बनने के मार्ग की ओर अग्रसर किया। धर्मसभा में इस अवसर पर प्रसाद का लाभ तेजमल सांखला और भूपेंद्र श्रीमाल परिवार ने लिया। 

कल होगा जैन साध्वियों का विहार 
जैन साध्वी विभाश्रीजी और आभाश्रीजी पिछले 8 दिनों से जिनवाणी की गंगा प्रवाहित करने के बाद 17 दिसंबर को शिवपुरी से पद विहार करेंगी। इसके पूर्व जैन साध्वी समस्त भक्तगणों के साथ सुबह 8:30 बजे भगवान जी की शोभायात्रा के साथ पीएस होटल की ओर प्रस्थान करेंगी। जहां साध्वी विभाश्रीजी महाराज  साहब और साध्वी आभाश्रीजी महाराज साहब के प्रवचन होंगे। इसके बाद वहीं भगवान का पूजन कार्यक्रम संपन्न होगा। तत्पश्चात भंडारे के बाद दोपहर 2 बजे जैन साध्वी बड़ौदी के लिए बिहार करेंगी। 
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