SHIVPURI NEWS | पुरानी शिवपुरी में रहने वाले एक दंपत्ति के यहां बेटे की चाह में एक-एक करके 10 बेटियां हो गई। इन बेटियों के पिता को अब अपनी बेटियों के नाम क्रमश: याद नही रहते है। दो दिन पहले उसकी पत्नि कल्लो बार्ई ने जिला अस्पताल में दो बेटियों को एक साथ जन्म दिया।
जब उससे उसकी बेटियों का नाम पूछा गया तो 4-5 के बाद वह उनका नाम भी नहीं बता पाया। ऐसी स्थिति है तो समझा जा सकता है कि बेटियों को कैसे मिलेगा अपने घर में सम्मान। आर्थिक तंगी के कारण गणेशा ने अपनी बेटियों की पढ़ार्ई भी छुड़ा दी है।
जब उससे पूछा गया कि यदि कोर्ई उसकी बेटियों को गोद लेने आयेगा तो क्या वह उन्हें गोद देगा तो गणेशा ने साफ इन्कार करते हुए कहा कि यह उपहार भगवान ने उसे दिया है। वह क्यों इन्हें किसी और को देगा।
भले ही यह कहा जाए कि आज 21 वीं शताब्दी में लडक़ा और लडक़ी एक समान है। भले ही यह कहा जाए कि बेटा जहां एक कुल को तारता है तो वहीं बेटियां दो-दो कुल को तारती हैं, लेकिन धरातल की सच्चार्ई कुछ अलग है और इसे बयां करती है मनियर वायपास निवासी गणेश कुशवाह और उसकी पत्नि कल्लो बार्ई के दाम्पत्य जीवन की कहानी।
35 वर्षीय गणेशा का विवाह लगभग 22 वर्ष पूर्व पुरानी शिवपुरी निवासी कल्लो बार्ई से हुआ। गणेशा मामूली पढ़ा लिखा है और एक तरह से मजदूरी कर तथा ठेले पर फलों आदि के बेचने का कार्य करता है। वह बताता है कि 17 साल पहले उसकी पत्नि ने पहली लडक़ी को जन्म दिया। आज वह 10 वीं पास होकर घर बैठी है।
आगे की पढ़ाई क्यों नहीं करार्ई तो उसका जवाब था कि रोटी की व्यवस्था नहीं तो वह कैसे पढ़ाई कराएगा। पुत्री के जन्म के बाद उसने सोचा कि शायद अगली संतान बेटा हो और बेटा होने के बाद वह ऑपरेशन करा लेगा, लेेकिन भगवान को तो और ही मंजूर था।
फिर बबीता हुर्ई जो कक्षा 9 पास कर घर बैठी है फिर अनीता, वर्षा और मुस्कान जो एक साथ कक्षा 5 में पढ़ रही है। फिर सोचकर वह बताता है कि रविता कक्षा 9 में पढ़ती है। इसके बाद शायद नेहा है जो अभी पढ़ाई नहीं कर रही।
वह तथा उसकी पत्नि नहीं करायेगी नसबंदी
गणेशा यह अवश्य कहता है कि अब वह रिस्क नहीं लेगा क्योंकि 10-10 बेटियां होने के बाद बेटा नहीं हुआ तो आगे क्या गारंटी है लेकिन जब उससे पूछा गया कि वह अपना या अपनी पत्नि का नसबंदी का ऑपरेशन करायेगा तो उसका जवाब है कि नहीं वह ऐसा नहीं करेगा।
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