शिवपुरी चातुर्मास चार माह का नहीं एक साल का

शिवपुरी। संत के लिये गया शब्द रमता जोगी बहता पानी इसलिये ही कहा जाता है कि संत अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति बस्तु से मोहमाया नहीं रखता वह तो समाज को धर्म की राह पर लाने का प्रयास करता है। इन चार माह में संत कोशिश करते है कि वे धर्म के माध्यम से व्यक्ति को यह समझाने का प्रयास करें की यह मोह माया सव यही पर रह जाना है और जो साथ जाना है आपके द्वारा किये गये आपके कार्य और आपका व्यवहार। 

परंतु शिवपुरी के चातुर्मास चार माह का नहीं रहा पूरे साल चला जिसके चलते प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानने का मौका मिला और यहीं कारण है कि आज वह भी जव यहां से जा रहे है तो उनको संत के स्वाभाव के विपरित यहां के समाज से मोह सा हो गया है, उक्त वात आज साध्वी शुभंकरा श्रीजी म.सा. ने अपने समाज द्वारा आयोजित कृतज्ञता ज्ञापन समारोह में कहें। वे ठाणा-5 सहित 9 को शाम पांच बजे ग्वालियर चातुर्मास के लिये विहार करेंगे। 

साध्वी जी कहा कि उन्हे यहां चातुर्मास करने की विनती करने वाले महेन्द्र जी सांखला अब इस दुनिया में भले न हो परन्तु उन्होने भाई-बहन का एक रिश्ता बनाकर हमें शिवपुरी उपहार स्वरूप दिया जो हमें जीवन भर याद रहेगा। शिवपुरी समाज द्वारा साल भर कार्यक्रमों में भाग लेते रहना अनुकरणी है और पूरे साल ऐसा लगा ही नहीं की चातुर्मास केवल चार माह के थे। 

समाज के लिये उन्होने यहीं कहा कि शिवपुरी समाज संतो की वैयावच्य करने में सबसे आगे है और यह संस्कार उन्हे देकर गये है पन्यास चिदानंद विजय जी म.सा. जो शिवपुरी के ही सपूत है और जिनका चातुर्मास पांच साल पूर्व शिवपुरी की इस धरा पर हुआ था। कार्यक्रम में समाज के प्रदीप काष्टिया, विजय पारख, विमला वाई सांखला, सुमिता जैन, सुमन नाहटा, विनीता पारख,  कंचन मुनहानी, खुशबु जैन, संजय जैन, लाभचंद मूथा, सोनम भांडावत, सलोनी कोचेटा, नंदनी कोचेटा, वीरेन्द्र सांड, अंकिता पारख, साक्षी जैन, हेमानाहटा आदि ने भजन और शब्दों से साध्वी के बर्षावास को एक अनुकरणीय वर्षावास बताया।

 कार्यक्रम का सफल संचालन गजेन्द्र गुगलिया ने किया। कार्यक्रम के दौरान चातुर्मास में अपनी सेवाये देने वाले डा अखिल बंसल, डॉ मुकेश जैन, डॉ संजय शर्मा, डॉ भगवत बंसल की भी अनुमोदना की गई। अन्य सेवाओं के लिये पत्रकार अशोक कोचेटा, पत्रकार अभय कोचेटा, रीतेश गुगलिया, अनूप जैन, अनिल जैन काकाजी का स मान किया। मंदिर की व्यवस्थाओं को बनाये रखन के लिये पण्डित पदमेश, उत्तम पुजारी,      महेश पुजारी, पुजारी शंकर और जैन सा को पुरूस्कृत कर स मानीत किया।

और भभक भभक कर रो पड़े अध्यक्ष
समाज के प्रत्येक कार्यक्रम में अपनी सहभागिता देने वाले अध्यक्ष दशरथमल सांखला को जब मंच पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये बुलाआ गया तो पहले तो उन्होने आने से मना कर दिया जब सभी लोगो ने आग्रह किया तो उन्होने की कहा कि इतने सरल स्वभावी म.सा. मैने आज तक नहीं देखे ऐसा पहली वार हुआ है कि पूरे एक साल इस उपासरे में प्रवचन हुये है और कोई न कोई कार्यक्रम चलता रहा। मसा के जाने के बाद कुछ समय तो शायद मन ही न लगे यह कहते हुये उनकी आंखों में आंसू आ गये और वे अचानक भभक-भभककर रो पड़े। 

प्रवेश और विहार दोनों एक ही तिथि में
इसे विधाता की मर्जी कहें या संयोग जब हमने शिवपुरी में प्रवेश किया था तो जुलाई आषाढ सूदी तीज थी और जब हम 9 को विहार कर रहे है तब भी जुलाई की आषाढ सुदी तीज ही है। हम तो पांच तारीख को जाने वाले थे परन्तु समाज द्वारा निवेदन करने पर हमें रूकना पड रहा है उक्त बाते आज प्रवचन के अवसर साध्वी शुभंकराश्रीजी ने कही। उन्होंने कहा कि ग्वालियर दूर है और हमें 16 तारीख तक पहुंचना है पानी का भी कोई ठिकाना नहीं है, परन्तु जब विधाता ने यह भी तय किया है तो वह भी तय करेगा।