शिवपुरी जिले के कोलारस विकासखंड में कोलारस विकासखंड शिक्षा अधिकारी रोहित भार्गव ने अपार आई डी का कार्य 50% से कम वाले 37 विद्यालयों के शाला प्रभारियों का मार्च माह का वेतन आहरण नहीं किया है। उनका यह कार्य नितांत मनमाना एवं अत्याचार पूर्ण है।
घोर अपराध पर भी कर्मचारी को निलंबित कर उसे जीवन निर्वाह हेतु आधा वेतन प्रदान किया जाता है ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके परंतु यहां तो पूरा वेतन ही रोक दिया गया है वो भी उस कार्य के न होने से जो शिक्षक के हाथ में ही नहीं है। इस तरह से वेतन रोकने पर माननीय उच्च न्यायालयों ने भी कई बार रोक लगाई है परंतु आज भी अफसर शाही इतनी हावी है कि वेतन रोकते समय सही गलत का भी कोई ध्यान नहीं रखा जाता।
शिक्षकों का वेतन अपार आई डी का कार्य 50% कम होने के कारण रोका गया है, साथ ही कुछ ऐसे शिक्षकों का वेतन भी रोक दिया गया है जिनका कार्य 50% था।
अपार आई डी बच्चे के आधार कार्ड, यू डाइस एवं विद्यालय के प्रवेश रजिस्टर में अंकित जानकारी एक समान होने पर ही बन सकती है। बच्चे के आधार कार्ड में शिक्षक कैसे संशोधन कराए, ये कार्य तो बच्चे के माता पिता को ही करना होगा। आधार कार्ड सही कराने या जन्म प्रमाणपत्र बनबाने के लिए जिन दस्तावेजों की आवश्यकता है वे भी पालक को ही उपलब्ध कराने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में 60 से 70% बच्चे ऐसे हैं जिनके आधार कार्ड में गलती है, साथ ही उनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। आधार में सुधार के लिए सभी कागज़ सही होने पर भी सुधार हेतु 3 महीने की वेटिंग के नंबर लग रहे हैं।
अब ऐसी परिस्थिति में शिक्षकों की समस्या का हल निकालने की जगह उनकी वेतन रोककर उनके लिए एक नई समस्या पैदा करना निश्चित ही असंवेदनशील एवं मनमानीपूर्ण कार्य है।
फरवरी माह के वेतन से इनकम टैक्स कटने के बाद पहले ही शिक्षक आर्थिक संकट में थे ऊपर से उनकी मार्च माह की वेतन रोक देना कहाँ की समझदारी है।
उन 37 शिक्षकों में से कई शिक्षकों की लोन की किस्तें बाउंस हो जाने के कारण उनके खातों पर बैंक ने होल्ड लगा दिया है। वे दूसरों के सामने पैसे के लिए हाथ फैलाने को मजबूर हो गए हैं। वेतन न प्राप्त होने और नवीन शिक्षा सत्र शुरू होने से वे अपने बच्चों को किताबें, यूनिफॉर्म नहीं दिला पाए हैं और न ही उनकी फीस जमा कर पाए हैं।