नगरपालिका में सत्ता बदली लेकिन प्रशासनिक बदलाव अभी शेष

शिवपुरी। 20 से अधिक वर्षों के बाद नगरपालिका का प्रशासन बदला है। वर्षों बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस काबिज हुई है। जनता ने बदलाव के लिये कांग्रेस को चुना है।

लेकिन सही बदलाव आना अभी शेष है। अभी तो नगरपालिका उसी पुराने ढर्रे पर चल रही है। बेलगाम कर्मचारी और जनता की कोई सुनवाई नहीं। नगरपालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह और उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा को नपा में गुणात्मक परिवर्तन के लिये पसीना बहाना होगा तभी वह जनता के फैसले के साथ न्याय कर पायेंगें।

अभी तक नगरपालिका की कहानी रही है कि अराजकता का दूसरा नाम नगरपालिका है। जन अपेक्षाओं से उसका कोई वास्ता नहीं रहा है और बिना भ्रष्टाचार के यहां कोई काम नहीं होता है।

कर्मचारी लापरवाह हैं और जनता की कोई सुनवाई नहीं। सफाई से लेकर पानी, स्ट्रीट लाइट, सड़क आदि समस्याओं के लिये नगरपालिका बेपरवाह बनी हुई है। पार्षद जनप्रतिनिधि बनने के स्थान पर भ्रष्टाचार में बंदरवाट करते हुए देखे जा रहे हैं।

खरीदी में जमकर घोटाला और गुणवत्ताविहीन कार्य नगरपालिका की पहचान बने हुए हैं। नगरपालिका के कर्ताधर्ताओं का अवश्य बेड़ा पार हुआ है और देखते ही देखते वह कहां से कहां पहुंच गये हैं। हर पांच साल में नगरपालिका की दशा बद से बदतर हुई है।

इस बार मतदाताओं ने हि मत दिखाई है और बदलाव के लिये कांग्रेस को चुना है, लेकिन उन पर नियंत्रण रखने के लिये परिषद पर भाजपा को काबिज किया है ताकि सत्ताधारी दल और विपक्ष अपनी-अपनी जि मेदारियों का निर्वहन करें। 10 दिन हो गये नगरपालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह को कार्यभार संभाले हुए, लेकिन अभी तो सबकुछ उसी पुराने ढर्रे पर चल रहा है।

 कर्मचारियों पर नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है। कर्मचारी कब आते हैं और कब चले जाते हैं पता ही नहीं चलता। जनता आती है जैसे वह पहले परेशान होती है आज भी वहीं स्थिति है।  चक्कर लगाये और बिना लिये दिये कुछ काम नहीं होता।

सबसे पहले नपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष को अपने कर्मचारियों को नियंत्रण में लाना होगा। भ्रष्टाचार कैसे समाप्त हो इसकी रणनीति भी उन्हें बनानी होगी। पिछली नगरपालिका का इतिहास रहा है कि अधिकांश पार्षद नपा से ही पोषित होते रहे हैं। किसी ने ठेकेदारी की है तो किसी ने सप्लाई।

 इनसे भी यदि कोई दूर रहा है तो वार्ड में विकास कार्य तभी हुए हैं जब पार्षद को कमीशन पहुंच गया है। इस पर भी रोक लगाना नपा प्रशासन की अहम जि मेदारी होगी। अपने घर को सुधारकर फिर नपा प्रशासन को आगे बढऩा होगा। शहर की सड़कों की हालत खस्ताहाल है। सीवेज प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन ने तो स्थिति और बद से बदतर कर दी है।

नौबत यहां तक पहुंच गई कि सड़कों के लिये लोगों को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। सड़कों का जीर्णोद्धार नपा प्रशासन की पहली प्राथमिकता है। जहां तक सफाई व्यवस्था का सवाल है कई इलाकों में सफाई नहीं होती। थोक सब्जी मण्डी बूचडख़ाना बनी हुई है और गंदगी के कारण यहां बीमारियां फैलने का अंदेशा उत्पन्न हो रहा है।

सफाई व्यवस्था को कैसे पटरी पर लायें यह नपा प्रशासन को सोचना है। शिवपुरी की प्रमुख समस्या पेयजल है। यहां के नागरिक गंदे नाले का मलमूत्र युक्त पानी पीने को विवश हैं। 25-30 साल से जनता को भरमाकर सिंध के पानी का सपना दिखाया जा रहा है, लेकिन अभी भी यह सपना अधूरा है। यह सपना कैसे पूर्ण हो इसकी जि मेदारी नपा प्रशासन की है। स्ट्रीट लाइट की समस्या भी अहम है।

अधिकांश इलाकों में स्ट्रीट लाइट नहीं जलती है और रात्रि में अंधकार छाया रहता है और जहां जलती है तो दिन में भी जलती रहती हैं। नगरपालिका ने कॉलोनियों में सड़कें तो बनाई हैं, लेकिन नालियां न बनाने से वहां गंदगी व्याप्त हो रही है इसकी ओर भी नपा प्रशासन को ध्यान देना होगा। सीवेज प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन जल्द से जल्द और गुणात्मक रूप से हो इसकी पहल भी नपा प्रशासन को करनी होगी।

इसके अलावा नगरपालिका की आय कैसे बढ़े इसके बारे में भी विशेष कार्य योजना बनानी होगी। वर्षों से लंबित पड़ी दुकानों की प्रीमियम और किराया राशि की वसूली भी उसकी प्राथमिकता में शामिल हो। हाउस टैक्स की वसूली में क्यों शिथिलता है इसके बारे में भी नपा प्रशासन को होमवर्क करना होगा। बढ़ते अतिक्रमण भी व्यापक समस्या है और इसके बारे में निष्पक्ष भाव से कार्य करने की आवश्यकता है।

इन सारी बातों पर यदि नये नगरपालिका प्रशासन ने ध्यान केन्द्रित किया तभी वह जनता के फैसले के साथ न्याय करने की स्थिति में होगा और मतदाता को भी लगेगा कि उसके बदलाव का फैसला गलत नहीं था।

लेखक श्री अशोक कोचेटा शिवपुरी से प्रकाशित सांध्य दैनिक तरूण सत्ता के संपादक हैं।

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