अफसरशाही से परेशान हूं, फिर भी मौत के लिए मैं ही जिम्मेदार हूं

शिवपुरी। शिवराज सरकार के सुशासन की पोल खोलती ये किसान की चिठ्ठी और उसके आत्महत्या के प्रायस का मामला सुर्खियो में तैर रहा है, प्रशासन के कर्मचारी और अधिकारीयों द्वारा रिश्वत लेने के बाद भी उसके काम ना होने पर सतनवाडा के एक किसान को आत्महत्या करने जैसा घातक कदम उठाना पड़ा।


इस चिठ्ठी में पीडि़त किसान औतार सिंह ने लिखा की प्राकृतिक अपदा के कारण दो बार मेरी फसल बर्बाद हो गई। नुकसान का सर्वे करने के लिए पटवारी ने पांच हजार रुपए की रिश्वत भी ले ली लेकिन मुआवजा नहीं मिला। 27 हजार रुपए देकर ठेकेदार से डीपी रखवाई लेकिन बिजली कंपनी के अफसर कनेक्शन नहीं दे रहे इसलिए मैं परेशान हूं, फिर भी मेरी मौत के लिए मैं खुद ही जिम्मेदार हूं।

यह चिट्टी लिखकर सतनबाड़ा क्षेत्र के कांकर गांव के किसान औतार सिंह रावत ने शनिवार दोपहर को जहरीला पदार्थ खा लिया। गनीमत रही कि जिस वक्त किसान उल्टियां कर रहा थाए उसका दोस्त मौके पर पहुंच गया और वह तत्काल उसे लेकर अस्पताल पहुंचा।

कांकर निवासी हल्के रावत ने बताया कि मैने औतार सिंह ने 27 हजार रुपए में प्राइवेट ठेकेदार से बिजली की डीपी रखवाई थी। जिसे बिजली कंपनी के अधिकारी पास नहीं कर रहे। औतार सिंह के दो बेटे घर से बाहर रहते हैं और एक विकलांग बेटा केशव घर पर रहता है।

दो बार फसल बर्बाद होने के बाद भी औतार सिंह को कोई मुआवजा नहीं मिला, बल्कि उल्टे कर्जा चढ़ता गया। तीन लाख रुपए केसीसी का कर्जा है। बिजली कंपनी वालों ने कनेक्शन के नियम वाले पै फलेट्स बांटे, जिन्हें लेकर औतार सिंह वाणगंगा बिजली द तर शिवपुरी आया था।

मैं उसके बाद जब बाणगंगा पहुंचा तो वहां औतार सिंह नहीं मिला। बाद में वो सिद्धेश्वर के पास उल्टियां करता हुआ मिला। हालत बिगडऩे पर मैं उसे लेकर अस्पताल गया।

ईलाज के बाद होश आने के बाद किसान औतार सिंह ने बताया कि हमने साढ़े तीन माह पूर्व डीपी रखवाई थी, लेकिन कनेक्शन करने के बदले में बिजली ठेकेदार 15 हजार रुपए मांग रहा था। मैंने बाजार से 60 हजार रुपए कर्जा लिया थाए लेकिन सोयाबीन बर्बाद होने से वो कर्जा नहीं पटा पाया।

बैंक का तीन लाख का कर्जा हो गया। दो बार फसल बर्बाद हुई लेकिन मुआवजा नहीं मिला। सुबह मैं और हल्के दोनों ही गांव से बाणगंगा बिजली द तर कनेक्शन के लिए आए थे, लेकिन यहां भी हमसे 15 हजार रुपए मांगे गए। इसलिए मैं परेशान हो गया था और मैने इल्ली मारने की दवाई खरीदकर खा ली।

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