चुआ का आदेश मानें या शासन के नियम: संकट में छात्रावास के अधीक्षक

शिवपुरी। चुनाव आयोग के एक आदेश ने यहां के कई छात्रावास अधीक्षकों को संकट में ला खड़ा किया है। शासन के नियम है कि छात्रावास अधीक्षक किसी भी स्थिति में छात्रावास नहीं छोड़ सकते और चुआ ने उनकी ड्यूटी कंट्रोल रूम में लगा दी है।

नगर निकाय चुनावों की घोषणा होने के कारण आदर्श अचार संहिता लागू हो चुकी है और चुनाव आयोग चुनावो की तैयारियों में लग गया है परन्तु खबर मिल रही है चुनाव आयोग भी नियमो की अनदेखी कर रहा है।

जानकारी के अनुसार कार्यालय कलेक्टर एंव जिला निर्वाचन अधिकारी जिला शिवपुरी का आदेश क्रंमाक-न.पा.आ.नि.-नो.अधि.नियु.-2014-15-403 दिनांक 08.09.14 एंव आदेश क्रमांक 2014 के पालन मेें शिकायतो के निराकरण नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। इन्होने शिक्षा विभाग के नियमो को जोर को झटका धीरे से दे दिया है।

शिकायत शाखा के प्रभारी अधिकारी आर यू खान जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण के द्वारा  सहायक रिटार्निग ऑफीसर-अनुविभागीय अधिकारी वार अलग-अलग दल गठित किये गए है। जिनकी ड्यटी सुबह 10 बजे से रात्रि 8 बजे तक रहेगी।

इस पत्र के माध्यम से निर्वाचन अधिकारी शिवपुरी ने आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों के अधीक्षकों को ड्युटी सहायक रिर्टानिग ऑफीसरो के रूप में शिवपुरी के स्थानीय निर्वाचन कंट्रेाल रूम एंव शिकायत शाखा में लगाई है।

जानकारी मिल रही है इसमें अधीक्षको की ड्युटी चुनाव अधिकारी ने लगाई है जिनके छात्रावास-आश्रम शहर से 20 से 40 किलोमीटर दूर है। वह इस कार्य को करते हुए अपने छात्रावास आश्रम की देख-रेख कैसे करेगें। आश्रम शाला में नियमित कक्षाए भी लगती है, उनका विद्याध्यन सुचारू रूप से कैसे होगा।

इधर चुनाव आयोग ने लगाए गए छात्रावास अधीक्षको की ड्युटी सुबह 10 बजे से राात्रि 8 बजे तक स्थानीय कंट्रोल रूम पर स्थाई रूप से लगाई है उन्है चुनाव आयोग ने कोई स्पस्ट दिशा-निर्देश नही दिए है कि उनकी अनुपस्थिती ने छात्रावासों का संचालन सुचारू रूप से कैसे होगा। बताया गया है कि शासन के आदेश है कि शिक्षकों को स्थाई रूप से किसी भी कार्य से अन्य गैर शिक्षकीय कार्यो में नही लगाया जा सकता है।

बताया गया है कि कई छात्रावासों में अधीक्षक और एक-दो चपरासी ही मिलकर अपने छात्रावासों का संचालन कर रह थे और आश्रम शाला में अधीक्षक के अतिरिक्त एक शिक्षक रहता है वह भी सभी आश्रमों में नही होगे वहां केवल अधीक्षक ही पढता है और अन्य व्यवस्थाए देखता है।

सवाल अब यह खडा होता है कि अधीक्षकों की गैर हाजिरी में
छात्रावासों और आश्रमों का संचालन कैसे होगा......
अगर कोई छात्र बीमार हो जाता है तो उसका ईलाज समय पर कैसे होगा.....
क्या गरीब छात्र एक माह तक छात्रावास-आश्रमों में छात्र केवल रोटी ही खाकर पढ जाएगें और समय पर उन गरीब छात्रो को भोजन भी मिलगा इसकी क्या गरांटी हो सकती है.......

महिला अधीक्षकों को किसी भी हालत में छात्रावास छोडने का निर्देश नही है फिर वह दोनो जगह अपने काम को कैसे करेंगी, क्या चुनाव आयोग ये मान चुका है कि शासन के ये छात्रावास-आश्रम बंद है। या इनमें कार्यरत कर्मचारी अतिरिक्त है जिनकी शासन को इनके कार्यस्थल पर कोई आवश्यकता नही है।