राजू (ग्वाल) यादव/शिवपुरी। लगता है कि कांग्रेसियों को इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया की जीत पर भरोसा नहीं है यही कारण है कि इस बार गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में हुए लोकसभा चुनाव को यूं तो लोग कई मायनों में देख रहे है लेकिन बीते विधानसभा चुनाव 2013 में जिस प्रकार से स्वयं तत्कालीन विधायकी का चुनाव लड़ रहे वीरेन्द्र रघुवंशी ने ईव्हीएम सुरक्षा को लेकर स्वयं मैदान में डट गए तो वहीं अब उसी ईव्हीएम की सुरक्षा में कांग्रेसी लगे हुए है। यहां हम बता दें कि वैसे तो शासन-प्रशासन कीओर से ईव्हीएम सुरक्षा में सैकड़ों जवान तैनात है।
आधुनिकता के युग में सीसीटीव्ही कैमरे भी लगे हुए है लेकिन प्रशासनिक प्रणाली से भरोसा तोड़ चुके कांग्रेसियों ने स्वयं ही ईव्हीएम सुरक्षा का जि मा संभाल रखा है यहां प्रतिदिन 8-8 घंटे की ड्यूटी में कांग्रेसी ईव्हीएम की सुरक्षा में लगे हुए है जबकि भाजपाईयों को भरोसा है कि ईव्हीएम से किसी प्रकार की कोई छेडख़ानी नहीं होगी इसलिए वह अपने कार्यांे में व्यस्त है। देखा जाए तो इस बार सिंधिया के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का भी यह एक माध्यम साबित होता नजर आ रहा है।
कारण साफ है कि कांग्रेसियों का मानना है कि अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की जीत है और ऐसे में यदि ईव्हीएम सुरक्षा में वह स्वयं ड्यूटी देंगें तो इससे वह महाराज के सामने स्वयं आगे लाने का प्रयास कर रहे है। वहीं दूसरी ओर भाजपाईयों को भी विश्वास है कि इस बार मोदी सरकार...के नारे को लेकर जनमानस में मोदी फैक्टर हावी रहेगा और संभवत: एक बड़ा चमत्कार अंचल में होगा। इस तरह दोनों दल अपने-अपने मतों को बताकर जनमानस में चर्चा बटोर रहे है।
बेफिक्री में है भाजपाई
यहां बताना होगा कि गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में मतदान 17 अप्रैल को संपन्न हो चुका है और लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। मतगणना स्थल पर ईव्हीएम मशीनें पहुंचने के पश्चात कांग्रेसी उनकी सतत निगरानी में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के तीन-तीन कार्यकर्ता 8-8 घंटे की ड्यूटी दे रहे हैं। उन्हें अंदेशा है कि ईव्हीएम मशीनों में गड़बड़ी होने की स्थिति में ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है। जबकि भाजपाई बेफिक्र हैं। वह जानते हैं कि परिणाम क्या होगा, लेकिन इसके बाद भी उन्हें चमत्कार का इंतजार है। सट्टा बाजार में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़त बताई जा रही है, लेकिन इस बाजार का यह भी मानना है कि मुकाबला काफी जोरदार होगा और जीत हार का अंतर एक लाख से कम मतों का होगा।
युवा वोटरों का रहेगा प्रभाव
इस बार सर्वाधिक रूप से युवा मतदाताओं की सं या ने दोनों प्रमुख दलों को खासा परेशान किया है चूंकि स्वयं नौजवान और ऊर्जा से भरे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी युवा है तो युवाओं का झुकाव इस ओर हो सकता है तो वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के चलते मोदी लहर भी चल पड़ी है जिसमें सोशल मीडिया, वाट्सअप, फेसबुक, चैट ऑन आदि जैसे प्रमुख साईटों पर सर्वाधिक रूप से नरेन्द्र मोदी को सर्च किया गया व उनके कटआउट और नारों के चलते युवाओं में खासकर मोदी की छवि का भी प्रभाव दिखा। इसका मु य कारण यह था कि देश के अन्य भागों की तरह यहां भी मोदी लहर का प्रभाव रहा। वहीं युवा मतदाताओं में मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का जुनून सवार था। इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 4 लाख युवा मतदाता नए जुड़े हैं और राजनीति से जुड़ा न होने के बावजूद भी उनमें मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में आजमाने का जज्बा था। भाजपा ने यहां से कट्टर महल विरोधी जयभान सिंह पवैया को उ मीदवार बनाया, लेकिन असल में उ मीदवार के रूप में मुकाबले में मोदी ही रहे। जिससे गुना-शिवपुरी के महल प्रभावी संसदीय क्षेत्र में भी संघर्ष काफी जोरदार हो गया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं युवा मतदाता इस चुनाव में कोई बड़ा उलटफेर ना करें। हालांकि मतदान तो हो चुका है लेकिन आने वाले परिणाम युवाओं के मतों से कोई बड़ा चमत्कार भी कर सकते है इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
दिग्गजों की सभाओं ने डाला अचरज में
इस बार के लोकसभा चुनाव में एक ओर जहां भाजपा ने मुकाबले को जोरदार बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी की सभा भी कराई और मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो क्षेत्र में अनेक सभाएं लीं। तो वहीं कांग्रेस ने अल्पसं यक मतों के धु्रवीकरण हेतु सलमान खुर्शीद की आमसभा कराई जिसका उसे लाभ भी मिला। ब्राह्मण मतों को प्रलोभित करने के लिए सत्यव्रत चतुर्वेदी की सभा भी शिवपुरी में हुई। पूरा चुनाव मोदी लहर वर्सेस सिंधिया फेक्टर पर केन्द्रित रहा और यह सवाल राजनैतिक क्षितिज पर तैरता रहा कि आखिरकार मोदी लहर प्रभावी रहेगी या सिंधिया फेक्टर का जादू यथावत् जारी रहेगा। चुनाव के पश्चात अधिक मतदान को भी कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने पक्ष में बताया। निष्पक्ष प्रेक्षकों का आंकलन है कि भाजपा को चुनाव जीतने के लिए चमत्कार कर दिखाना होगा और भाजपा यदि चुनाव जीती तो पूरे देश में कांग्रेस 50 सीटों पर सिमट सकती है।