
सभी जानते है कि दादा की मौत हार्ट अटैक से हुई है। लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि दादा को उनके ग्रह निवास खतौरा में जब सीने में दर्द शुरू हुआ तो उनका तत्काल उपचार खतौरा के एक झोला छाप डॉक्टर से करना पडा था, खतौरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पदस्थ डॉक्टर गायब था। बताया गया है कि खतौरा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नीतराज गौड पदस्थ है और वे महीनों से गायब है।
बताया जा रहा है कि तत्काल दादा को खतौरा से शिवपुरी लाया गया जहां अपने जिले के सरकारी अस्पताल में एक भी मेडिकल विशेषज्ञ न होने के कारण उनका ईलाज वहां भी नही हो सका। और परिजन उन्हें ग्वालियर गए। मोहना के बाद दादा की हालात बिगड़ने लगी। जहां दादा की ग्वालियर पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।
कहते है कि जीना मरना तो ऊपर वाले के हाथ होता है,लेकिन इस बात को भी छुपाया नही जा सकता कि एक विधायक को प्राथमिक उपचार न तो उनके गांव में मिला और न ही जिले के इतने बडे भारी भरकम अस्पताल में। यहां उल्लेख करना आवश्यक होगा कि पिछले एक वर्ष से शिवपुरी मीडिया लगातार यह प्रकाशित कर रही है कि जिले के अस्पताल में एक भी मेडिकल विशेषज्ञ डॉक्टर नही है। और इससे बडी बात और क्या होगी कि इस जिले के प्रभारी मंत्री प्रदेश के स्वास्थय मंत्री है और अपने ही प्रभारी वाले जिले में विशेषज्ञ डॉक्टरो की व्यवस्था भी नही कर सके। दादा की मौत में हार्ट अटैक तो पहला दोषी है लेकिन शिव का राज भी कही न कही से दोषी इस परिस्थती को देख कर होता है।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कल स्व: रामसिंह यादव के घर उनकी आकस्मिक मौत पर परिजनो के बीच शोक सवेंदनाए प्रकट करने पहुंच रहे है। लेकिन उन्है उनके परिजनो से माफी भी मागनी चहिए कि मेरे राज में शिवपुरी जिले के अस्पताल में एक भी मेडिकल विशेषज्ञ डॉक्टर नही है, अगर जिले में एक भी मेडिकल विशेषज्ञ होता तो शायद में आज यहां नही होता.......................... ..
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