
इस मंदिर में आस्था रखने वाले नरवर के श्रद्वालुओ ने कलेक्टर शिवपुरी का एक शिकायती आवेदन सौपा है इस शिकायती आवेदन के अनुसार सन 1657 संवत नरवर के साहूकार कैसोदास खंडेलवाल ने जब कराया था जब नरवर में राज्य राजा अमरचंद्र का था।
शिकायत कर्ता ने बताया कि श्री मोहनजी महाराज के मंदिर पर पिछले 350 वर्षो से सभी हिन्दू त्यौहार बडी ही धूमधाम से मनाए जाते है। इस सभी उत्सवो में शरद उत्सव मनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है,और उत्सव को मनाने की जिम्मेदारी स्थनीय वैश्य समाज पर जब से जब से यह मंदिर बना है।
बताया गया है कि इस मंदिर के राजमंदिर के दोनो ओर 2 कमरे मंदिर निर्माण के समय के बने हुए है। जिसमें से एक कमरे में भगवान का भोग बनाया जाता था और दूसरे कमरे में भगवान के वस्त्र,पूजा का समान और शरद उत्सव मेें निकाला जाना वाला समान रखा जाता था।
मंदिर में तैनात पुजारी ने राजमंदिर के लगे हुए एक कमरे में अपने पुत्र और पुत्र वधु का शयन कक्ष बना लिया और भगवान के भोग बनाने वाले कमरे में अपने परिवार का भोजनालय बना लिया है,शिकायती आवेदन में कहा गया है कि मंदिर की पूरी मार्यादाओ को तोडकर पुजारी महाराज ने मंदिर में ही शौचालय का निर्माण करा दिया है।
कुल मिलाकर मंदिर को अब घर में परिवर्तित किया जा रहा है,श्रद्वालुओ द्वारा विरोध करने पर मंदिर के पुजारी द्वारा अभद्रता की जाती है। आवेदन द्वारा कहा गया है कि मंदिर में तोडफोड कर निर्माण करने से मंदिर की मार्यादा तार-तार हो रही है,इससे धर्मिक भावना भी आहत हो रही है। शिकायत कर्ताओ ने कलेक्टर शिवपुरी से इस पुजारी पर कार्रवाई करने और मंदिर को पुराने स्वरूप में लौटाने की गुहार लगाई है।