अतिक्रमण: कही यह शांति कोई विस्फोट में न बदल जाए

शिवपुरी। शहर भर में प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपनाई जा रही दोहरी नीति के कारण नागरिकों में जनाक्रोश अंदर ही अंदर पनप रहा है। जो कभी विस्पोटक स्थिति में तब्दील हो सकता है। प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी दबंग राजनेताओं एवं धनाढ्य वर्ग के नागरिकों पर मेहरबान बने हुए हैं।

जिनके द्वारा रातों रात निर्णय बदल दिए जाते हैं। शासकीय भूमि, तालाबों एवं नालों पर भू माफियाओं द्वारा किए गए अतिक्रमण की रजिस्ट्री, नामांतरण, बिना प्रशासनिक मशीनरी के होना असंभव ही है। एक ओर जहां अतिक्रमण कारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है तब इस समूचे मामले में संलिप्त कर्मचारी कार्यवाही से वंचित बने हुए हैं। साथ ही निर्धारित की गई गाईड लाईन को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से अतिक्रमण हटाये जा रहे हैं। 

बिना योजना के शहर भर में तोड़ फोड़ 
शहर भर में चलाई जाने वाली अतिक्रमण विरोधी मुहिम बिना किसी कार्य योजना के मनमाने ढंग से चलाई जा रही है। न्यायालय के आदेशानुसार वर्षाकाल से पूर्व नालों एवं तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर साफ कराया जाना था। लेकिन अधिकारियों द्वारा कभी नाले में कभी कोर्ट रोड़ पर, कभी कमलागंज पर, कभी मनीयर रोड़ तो कभी पोहरी रोड़ पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करते नजर आये। 

जिससे कोई ाी कार्य पूर्णता की ओर नहीं पहुंच सका। समूचे शहर के नागरिकों में संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं नपा कर्मचारियों द्वारा अपनाई जा रही दोहरी नीति की बजह से जन सामान्य में रोष व्याप्त है। वहीं अतिक्रमण हटाने के दौरान मलबा जगह-जगह पढ़ा हुआ है। 

अधिकारी व कर्मचारी कार्यवाही से बंचित क्यों
शहर भर की शासकीय भूमि तालाबों व नालों पर भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर उसका विक्रय किया गया। जो शासकीय कर्मचारियों के सहयोग के बिना असंभव ही है। गौरतलब तथ्य यह है कि भू माफियाओं द्वारा किए गए अतिक्रमण की भूमि को भ्रष्टाचारी तरीके से रजिस्ट्री नामांतरण जैसी प्रक्रिया प्रशासन द्वारा पूर्ण करा दी गई। 

साथ ही विद्युत एवं पेयजल कनेक्शन देकर प्रशासन द्वारा उन पर वैधानिक होने की मोहर लगा दी गई। जबकि विद्युत एवं पेयजल कनेक्शन देने के लिए उचित दस्तावेज होना आवश्यक है। लेकिन इसके बाबजूद कर्मचारियों द्वारा अनुचित दस्तावेजों के आधार पर ही उक्त सुविधायें उपलब्ध करा दी गई। अतिक्रमण कारियों के समानांतर भूमिका निभाने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही।

शासन ने मिटा दिए रियासत कालीन तालाब
सिंधिया रियासत कालीन समय में नागरिकों एवं जानवरों को पेयजल उपलब्ध कराने, सिंचाई की व्यवस्था एवं भू जल स्तर शतत रूप से बनाए रखने के लिए दर्जनों तालाबों का निर्माण कराया लेकिन शहर की लगातार बढ़ती जन सं या के दवाब के चलते विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशासन द्वारा तालाबों में ही विकास कार्य करा डाले। 

काली माता मंदिर के सामने आधे तालाब में दीनदयाल नगर, पोहरी रोड़ पर स्थित तालाब में बस स्टेण्ड का निर्माण करा दिया गया। काली माता मंदिर के पास आधे तालाब पर आज भी अतिक्रमण कारी काबिज है। 

नाले को किया नाली में तब्दील
शहर में विष्णु मंदिर के पीछे के तालाब, गुलाब साहब की दरगाह बाला तालाब भू माफियाओं द्वारा विक्रय कर दिया गया। विष्णु मंदिर के पीछे बाले तालाब से होकर आने वाले तालाब पर शानदार मार्केट तान दी गई। जबकि इसके दूसरी ओर नाले की भूमि को अवैध तरीके से विक्रय कर दिया गया। 

जबकि सडक़ पर बनी 30 फिट की पुलिया चीख-चीख कर नाला होने की गवाही दे रही है। पीडब्लू डी विभाग में उक्त पुलिया आज ाी दर्ज है, लेकिन नगर पालिका के कर्मचारियों की बाजीगरी ने उक्त दस्तावेज गायब कर दिए। आज भी पुलिया जीवित अवस्था में है।

 लेकिन नगर पालिका यह मानने को तैयार नहीं है अंधे व्यक्ति को भी विष्णु मंदिर के नाले पर बनी पुलिया एवं होने वाला अतिक्रमण नजर आ जाएगा, लेकिन नगर पालिका प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं है जिसका मतलब सहजता से समझा जा सकता है।