शिवपुरी। एनजीटी के आदेश पर चल रही शिवपुरी के ताल, तलैया और नालों को अतिक्रमणमुक्त कराने की कार्रवाई अब मनियर तक जा पहुंची है। यहां नक्शे में मौजूद पुराने तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। चौंकाने वाली बात यह है कि यहां अतिक्रमण खुद सरकार ने ही करवाया था। 2003 में दिगिवजय सिंह सरकार ने इस तालाब की जमीन को पट्टे पर बांट दिया था। सरकारी सहायता से यहां गरीबों की झोंपड़ियां भी बनीं, अब बेदखली का नोटिस थमा दिया गया।
अतिक्रमण विरोधी अभियान अब शहर से बाहर मनियर तालाब क्षेत्र में बसी बस्ती तक पहुंंच चुका है। वहाँ सरकारी पट्टे की भूमि और सरकारी कुटीरों में निवासरत आदिवासियों को नोटिस बांटकर 24 घण्टे में कब्जे हटाने का अल्टीमेटम नगर पालिका द्वारा दे दिया जिससे पूरी बस्ती में हडक़ंप है।
जिन लोगों को नोटिस दिए गए हैं उनमें दिनेश आदिवासी, बनवारी सहरिया, लालाराम, नारायण, रामगोपाल सोनी, गब्बर आदिवासी, होतम आदिवासी का कहना है कि उन्हें वर्ष 2003 में तलैया बस्ती मनियर में सरकार ने ही पट्टे दिए और सरकार की ओर से आवास दिए गए थे मगर अब उन्हें भरी बरसात में बदेखली का नोटिस देकर घर से बेघर किया जा रहा है।
बुरी तरह डरे हुए इन गरीब परिवारों की व्यथा यह है कि यदि प्रशासन ने उनकी कुटीरों और झोंपड़ पट्टी को तोड़ा तो उन पर सिर छुपाने के लिए भी जगह नहीं है। पूरी बस्ती में भय का वातावरण बना हुआ है। ये तमाम आदिवासी दस्तावेजों के नाम पर शासन द्वारा प्रदत्त पट्टों की कॉपी लिए हुए हैं मगर फिलहाल इनकी सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा।
महिलाओं का कहना है कि उन्हें सरकार ने ही जब जमीन दी और कुटीर दीं तो वे कैसे अतिक्रमण मेंं हो सकते हैं। जिन परिवारों को नोटिस मिले हैं उनके यहां पिछले दो दिन से चूल्हे तक नहीं जले सबके चेहरों पर बेदखली का खौफ साफ झलक रहा था।