शिवपुरी। शहर की 40 फीसदी से अधिक आबादी जो चांदपाठा के पानी से अपनी प्यास बुझाती है। इस समय चांदपाठा लेक का जल स्तर 1118 फिट हो जाने के बाद फॉरेस्ट विभाग ने नगर पालिका को पानी देने से साफ इंकार कर दिया हैं। इस कारण शहर में पानी की टंकिया और संपवैलो की सप्लाई बंद है और शहर के कई क्षेत्रो में पानी के लिए हा-हा कार मचा हुआ है।
नपा के इंजीनियर के.एम.गुप्ता की मानें तो उन्हें साफ तौर पर कहा गया है कि लेक में पानी का स्तर कम होने से मछलियां मरना शुरू हो गई हैं। ऐसे में अब वन विभाग शेष रहे पानी को वन्य प्राणियों क उपयोग के लिए सुरक्षित रखेगा और पेयजल आपूर्ति के तौर पर इसकी सप्लाई घरसाही में दी जाना संभव नहीं है।
बकौल श्री गुप्ता वे सक्शन पाइप बढ़ाकर घसारही प्लाण्ट से ही पानी देने के प्रयास कर रहे हैं किन्तु पाइप बिछाई के लिए की जा रही खुदाई में एक बड़ी चट्टान आ जाने के कारण इसमें विलंब हो रहा है जिसे तोडऩे के लिए अब पोकलेन मशीन बुलवाई गई है। प्रश्र उठता है कि जिला प्रशासन के अधिकारी इस सबन्ध में वन विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा क्यों नहीं कर रहे।
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट यदि 6 इंच पानी दे देता है तो करीब 10 दिन पूरे शहर के लिए यह पानी पर्याप्त होगा। वर्तमान हालात यह हैं कि नगर की संपवैल और पानी की टंकयाँ यानि ओवर हेड टैंकों से होने वाली सप्लाई अब बंद कर दी गई है।
फिजीकल क्षेत्र में तो पिछले 5 दिन से नलों से पानी नहीं आया। पूरे इलाके में त्राही मची हुई हैं। नगर के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के हालात बन गए है । लोग दो दिन के अंतराल से मिलने वाले फिल्टर के इस पानी के लिए भी अब तरस गए हैं। प्रशासन का ऐसा असंवेदनशील रवैया अब से पूर्व कभी नहीं देखा गया। पानी जीवन की पहली और प्राथमिक आवश्यकता होता है।
जानवरों की दुहाई देकर इंसानों को प्यासा रखा जाना कहाँ तक तर्क संगत है इस पर न तो जनप्रतिनिधि गौर कर रहे और न ही निकाय या प्रशासन के अधिकारी ध्यान देना मुनासिब समझ रहे।