शिवपुरी की तरह करैरा भी फैल हो गई जलावर्धन योजना

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शिवपुरी। इस विकराल गर्मी में चारो ओर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। शिवपुरी की जलावर्धन योजना तो वैलटीनेंटर पर रखी हुई है परन्तु करैरा के प्यासे कंठ भी जलावर्धन योजना के लिए पिछले 10 साल से तरस रहे है।

जानकारी के अनुसार करैरा कस्बे की पेयजल समस्या को हल करने के लिए दस साल पहले स्वीकृत जलावर्धन योजना में 3.75 करोड़ की राशि खर्च हो गई लेकिन लोगों को पानी नहीं मिल सका। दस साल पहले जो स्थिति थी, वहीं आज भी है। 

हर वार्ड और मोहल्ले में पानी के लिए हाहाकर मचा है। कई वार्डों में लोग पानी के लिए रात-रात भर जगराता कर रहे है। लोगों को तीन दिन में एक दिन पानी मिल पा रहा है। महुअर नदी व डुमघना डैम में पर्याप्त पानी हैए,इसके बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। जलावर्धन योजना का काम भी पूरा हो चुका है लेकिन हैंड ओवर नहीं होने से समस्या बरकरार है। 

जलावर्धन योजना का कार्य कराने वाली एजेंसी पीएचई विभाग व नगर परिषद के अधिकारी एक.दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। 

करैरा की जलावर्धन योजना की स्वीकृति वर्ष 2003 में भाजपा शासनकाल में हुई थी। तब इस योजना की लागत 2 करोड़ 67 लाख थी और तत्कालीन मु यमंत्री बाबूलाल गौर ने इसका शिलान्यास किया था। योजना का काम 6 माह में पूरा होना था। 

देरी होने के कारण इसकी लागत बढ़ी और पूरक बजट के रूप में एक करोड़ नौ लाख रुपए की राशि और जारी की गई। इस तरह पूरी जलावर्धन योजना की कुल लागत 3 करोड़ 75 लाख हो गई जो खर्च हो चुकी है। निर्माण एजेंसी पीएचई विभाग के अनुसार चार साल पहले काम पूरा हो चुका है और कलेक्टर के आदेश से नगर परिषद को सौंप दिया गया है। 

वहीं नगर परिषद अध्यक्ष का कहना है कि योजना में कई कमियां हैं। टंकी नहीं भर पा रही हैए पाइप लाइन कहां डाली गई हैए पीएचई बता नहीं पा रही है। 

30 साल के अनुमान से बनाई थी योजना 
कस्बे में 30 साल तक पानी की समस्या न होए इसके अनुसार योजना बनाई गई थी। इसमें डुमघना डैम पर एक इनटेक वेल का निर्माण, नारहीखार पर पंप हाउस, कस्बे में दो स्थानों पर सप्लाई के लिए टंकियों का निर्माण, जल शुद्धिकरण के लिए एक फिल्टर प्लांट तथा 17 किमी की पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाना था। 

निर्माण एजेंसी पीएचई के उपयंत्री आरएन श्रीवास्तव का कहना है कि विभाग ने काम पूरा कर दिया है। कृषि मंडी क्षेत्र में बनी टंकी को भरने वाली मेन लाइन में लोगों ने सीधे कनेक्शन कर लेने से टंकी भरने में समस्या आई तो दूसरी लाइन डाली गई। 

नगर परिषद के अध्यक्ष इस मामले को उलझाए हुए हैं और सहयोग नहीं कर रहे हैं। हमने टंकी को भर कर भी बता दिया हैए वह योजना के हैंडओवर नही होने की बात करते हैं तो फिर वह योजना में बने नवीन फि ल्टर प्लांट, डेनिडा की टंकी और पाइप लाइन का उपयोग क्यों कर रहे हैं। 

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