तात्या टोपे विशेष: पाढिए अमर शहीद तात्या टोपे के नाटकीय मुकदमें में कहे अंतिम शब्द

ललित मुदगल/शिवपुरी। शिवपुरी शहर की 17 नंबर कोठी पर अंग्रेजो ने अमर शहीद तात्या टोपे पर अंग्रेजो के अग्रेंजी सरकार के खिलाफ विद्रोह का मुकदमा चलाया गया था। इस 17 नं. कोठी को मार्शल कोठी के रूप में भी पहचाना जाता है। इसी कोठी में ही अंग्रेजो की अदालत में नाटकीय मुकदमा तात्या टोपे पर चलाया गया थाए और 18 अप्रेल 1859 की तारिख सजा-ए-मौत की घोषित कर दी थी।

तात्याटोपे की गिर तारी उन्ही के मित्र राजा मानसिंह की गद्दारी के कारणए 7 अप्रेल 1859 को अद्र्वरात्रि के समय हुई थ्री। इतिहासकार बताते है कि ईस्ट इंडिया क पनी के जनरल मीड़ ने उन्है सोते हुए गिर तार किया था। अगली सुबह ही तात्या को क पनी बहादुर के न्यायलय में पेश किया गया।

इस 17 न बर कोठी में स्थित इस न्ययालय में अंग्रेजी हुकुमत ने तात्याटोपे पर अंग्रेज सरकार के खिलाफ विद्रोह और अंग्रेज सैनिको की हत्या करने के जुर्म के रूप में चलाया। इस मुकदमें के सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने तात्या से कहा कि आपको अपने बचाव मेें कुछ सबूत या अपनी सफ ाई में कुछ कहना हो तो कह सकते है।

इस अंग्रेज न्ययाधीश के  समक्ष अमर बलिदानी तात्याटोपे ने अपने मुकदमे में अंतिम शब्दो में कहा कि में भारत माता का पुत्र हूं, मैने जो भी कार्य किया है अपनी मातृभूमि के लिए किया है, न्याय के अनुसार लड़े गये युद्वो अथवा मुठभेड़ो को छोड़कर मैने किसी भी अंग्रेज पुरूष, स्त्री और बालक की हत्या नही कि है और रही बात अंग्रेज सरकार के खिलाफ विद्रोह की, तो अंग्रेज तो जबरन मेरे घर में घुस आये है और मेरी मार्तृभूमि पर कब्जा करना चाहते है। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हथियार उठाकर किसी को भी मारना किसी के खिलाफ विद्रोह नही होता है। मुझे किसी के आगे सफाई देने की आवश्यकता नही है, और में आत्महूति देने को तैयार हूं


मात्र 11 दिनो में अंग्रेजी हुकुमत के न्यायधीश बहादुर का न्याय करने का नाटक  समाप्त हुआ और जैसा पूर्व से ही निश्चित था। न्याय के अगले ही दिन 18 अप्रेल 1859 को फ ांसी पर लटकाने की सजा सुना दी।

 17 न बर कोठी को मार्शल कोठी भी कहा जाता है इसी कोठी के बाहर के रूम में अंग्रेजो के बने न्यायलय में अमर बलिदानी तात्याटोपे को फ ांसी की सजा सुनाई थी। तात्या टोपे के अंग्रेज न्यायधीश के समक्ष कहे गये मातृभूमि के लिए कहे गये ओजस्वी शब्द आज भी इस कोठी में गूंजते है। समय समय पर इस कोठी को इस महान क्रांतिकारी अमर शहीद तात्या संग्रहालय के रूप में मांग उठती रही है। इसके लिए 50 लाख रुपए की राशि भी मंजूर की गई लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी काम अधर में है।