शिवपुरी-रेत यूनियन के निर्णय से सरकारी आवास योजनाओं को पूरी तरह पलीता लगना तय हो गया है। सरकारी तंत्र को हिला देने वाला तथ्य यह है कि एक माह पहले 400 फुट का रेत ड फर 10-11 हजार रूपये में मिलता था। इस अतीत का वर्तमान यह है कि आज से रेत ड फर यूनियन ने 400 फुट रेत के स्थान पर 300 फुट रेत ड फर का मूल्य 16 से 18 हजार रूपये तय कर लिया है।
यूनियन ने कढ़ाई से अपने फैसले को लागू करने के लिए आज दिन भर 400 फुट के ड फरों को ना सिर्फ रोका बल्कि उन्हें इस तथ्य के लिए भी मजबूर किया कि वह 300 फुट से ऊपर माल ना लाऐं। इसके साथ यह हिदायत भी दी गई है कि किसी भी सूरत में 15 हजार से कम में ड फर का विक्रय ना किया जाए। रेत यूनियन के इस फैसले से शिवपुरी जिले में बनने वाले 2424 इंदिरा आवास और तकरीबन 3550 मु यमंत्री ग्रामीण आवास के निर्माण पर संकट की काली परछाई गहरा गई है।
उल्लेखनीय है कि दोनों योजनाओं में हितग्राही को क्रमश: 30 और 35 हजार रूपये की प्रथम किश्त दी जाती है उसके बाद दूसरी किश्त छत लेबल पर ईंटों की चिनाई हो जाने के बाद प्रदान की जाती है। अब जबकि रेता का बाजार मूल्य ही 16 से 18 हजार रूपये हो गया है तो ऐसी स्थिति में इंदिरा आवास और मु यमंत्री आवास योजनांतर्गत निर्माण कार्य कैसे संभव होंगें। खबर तो यह भी है कि रेत के दाम बढ़ाने के साथ-साथ ईंट और गिट्टी के भी दाम बढ़ाए जाने के लिए भी कतिपय तत्व प्रयत्नशील है। यदि निर्माण कार्यांे की सामग्री में डेढ़ी और दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई तो निर्माण का सिर्फ सपना रह जाएगा।
उपरोक्त डरावनी सच्चाई से इतर एक माह पहले रेत का ड फर 10-11 हजार रूपये में बिकता था। इस एक माह में ना तो डीजल के दाम बढ़े है और ना ही लेबर की रेट। सिर्फ इतना भर हुआ है कि जिला कलेक्टर आर.सी.दुबे ने अवैध खनन और परिवहन पर पूर्ण विराम लगाने का जबर्दस्त आगाज किया और उसके अंजाम में अवैध खनन और परिवहन बहुत हद तक रूक गया लेकिन इस सकारात्मक परिणाम के नकारात्मक पक्ष में रेत के दाम अचानक बढ़ गए। ड फर संचालकों ने कार्पोरेशन द्वारा अधिक रॉयल्टी वसूल करने का हवाला देकर रेत का मूल्य बढ़ा दिया। तकरीबन 20-22 दिनों से शिवपुरी में 16 से 18 हजार रूपये में 400 फुट रेता मिल रही थी।
यह स्थिति इसलिए स्वीकार्य थी क्योंकि कलेक्टर ने वैध खदानों को भी सीमांकन कार्य पूर्ण ना होने तक बंद करा दिया था। हद तो तब हुई जब ड फर यूनियन ने एकाएक अस्तित्व में आकर 400 फुट रेता स्थान पर 300 फुट रेता का मूल्य 16 से 18 हजार रूपये फिक्स कर दिया। इस मूल्य पर मिल रही 300 फुट रेता ने निर्माण कार्यों में लगे सरकारी गैर सरकारी चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच डाली है। यदि शीघ्र ही इस मामले में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो सरकारी निर्माण कार्य तो ठप्प होंगें ही होंगें निजी निर्माण कार्य कराने वाले भी अपनी जेबें पूरी तरह खाली करा चुके होंगें।
नहीं रोक सकते : खनिज अधिकारी
रेत ड फर यूनियन के निर्णय पर खनिज अधिकारी अनिल शर्मा ने हाथ मलते हुए कहा कि हम निर्धारित दर पर रॉयल्टी वसूल सकते है लेकिन वह किस कीमत पर उस माल को बेच रहे है उस पर हमारा कोई हमारा नियंत्रण नहीं है। हम उन्हें दाम बढ़ाने से अधिकारिक तौर पर नहीं रोक सकते है।
कालाबाजारियों को माल ना बेंचें कॉर्पोरेशन : एडीएम
300 फुट रेत ड फर की कीमत 16 से 18 हजार रूपये तय करने वाले ड फर यूनियन के निर्णय पर एडीएम डी.के.जैन ने दो टूक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कालाबाजारियों को कॉर्पोरेशन माल ना बेचें। उन्होंने कहा कि मुनाफे का भी एक निश्चित और व्यावहारिक प्रतिशत होता है उस प्रतिशत को पार करके मुनाफे में मनमानी करना ठीक नहीं है। उनका यह भी कहना था कि कालाबाजारियों को जनता भी अपनी जागरूकता से सबक सिखा सकती है वह यदि अधिक दर पर माल नहीं खरीदेगी तो मजबूरन रेत कारोबारियों को जायज दरों पर ही माल बेचना पड़ेगा।
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