शिवपुरी। प्रदेश और केन्द्र में भाजपा शासित सरकारें हैं तथा सांसद विपक्षी दल कांग्रेस के हैं। पहले सिंधिया बचाव करते थे कि प्रदेश सरकार उनके काम में अडंग़ा लगा रही है। यदि यही तर्क है तो अब अड़ंगा केन्द्र सरकार के साथ-साथ प्रदेश सरकार की तरफ से भी लगेगा। ऐसे में लाख टके का सवाल है कि क्या गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र विकास की मु यधारा से कटेगा या फिर श्री सिंधिया अपनी जीवटता से केन्द्र और प्रदेश सरकार पर दबाव डालकर अपना लोहा मनवाकर काम कराने में सफल होंगे या फिर विकास का जि मा भाजपा का कोई नेता उठाएगा।
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में जब-जब भी विकास की धारा बही है तब केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार और प्रतिनिधियों में समन्वय कायम रहा है। सन 1980 से 90 तक 10 साल के कार्यकाल में प्रदेश और केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही और सांसद के रूप में 80-85 तक श्री सिंधिया और 85-89 तक उनके सिपहसालार महेन्द्र सिंह ने अपनी जि मेदारी का निर्वहन किया। विकास की इस मु य धारा के कारण ही गुना ईटावा रेल लाइन स्वीकृत हुई और जिसका लाभ संसदीय क्षेत्र के नागरिकों ने उठाया। विकास की मु यधारा से कटने के कारण ही जनसंघ से राजनीति में सक्रिय हुए स्व. माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया।
सन 77 में जब वह कांग्रेस में शामिल हुए तो उनका तर्क यही था कि इस क्षेत्र को विकास की मु य धारा से जोडऩे के लिए ही वह कांग्रेस में आए हैं। सन 89 में केन्द्र में सरकार बदली और भाजपा के समर्थन से बीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। प्रदेश में भी सत्ता भाजपा के हाथ में थी। गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा नेत्री स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया विजयी रहीं और संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों में से भी अधिकांश पर भाजपा ने कब्जा किया। उस समय स्व. सुशील बहादुर अष्ठाना शिवपुरी से विधायक पद पर निर्वाचित हुए थे। इस कारण टकराव न होने से क्षेत्र का विकास हुआ।
स्व. माधवराव सिंधिया के अवसान के बाद 2001 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस राजनीति में सक्रिय हुए। 2004 से 2014 तक केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व की यूपीए सरकार सत्ता में रही। केन्द्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री बने, लेकिन प्रदेश में भाजपा ने कब्जा किया। यहीं से शिवपुरी के विकास में अड़ंगा प्रारंभ हुआ। श्री सिंधिया का कहना है कि केन्द्र सरकार से योजनाएं तो मंजूर कराकर वह बराबर लाते रहे। सिंध पेयजल परियोजना, सीवेज प्रोजेक्ट, फोरलेन, खदानों की मंजूरी, तालाबों का जीर्णोद्धार, पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्वीकृति आदि का श्रेय वह अपने खाते में डालते हैं। लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ भिन्न है। या तो योजनओं का अभी तक क्रियान्वयन नहीं हुआ या क्रियान्वयन हुआ भी है तो उसका लाभ जनता को नहीं मिला।
जैसे सिंध पेयजल परियोजन सात साल पहले मंजूर हुई, लेकिन आज तक सिंध के पानी के लिए शिवपुरीवासी तरस रहे हैं। लंबे समय के बाद सीवेज प्रोजेक्ट का काम अभी शुरू हुआ है। पॉलीटेक्निक कॉलेज वर्षों के बाद भी नहीं बना है और फोरलेन का शिलान्यास हुए वर्षों हो गए हैं, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ। खदानें खुल अवश्य गई हैं, लेकिन उनका लाभ स्थानीय निवासियों को मिलने की बजाय खनन माफिया को मिला है। तालाबों का जीर्णोद्धार भी महज कागजों तक सिमट गया है। इसके पीछे श्री सिंधिया का तर्क है कि इस अड़ंगेबाजी में प्रदेश सरकार की भूमिका रही है। जिस कारण केन्द्र में होने के बाद भी वह जनहितकारी योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं दिला पाए।
उस समय तो फिर भी गनीमत थी, लेकिन अब तो प्रदेश और केन्द्र दोनों में भाजपा की सरकारें हैं और सांसद कांग्रेस के हैं। ऐसे में यदि संसदीय क्षेत्र के विकास की मु य धारा से कटने की आशंका का सवाल उठता है तो चिंताएं घनी हो जाती हैं। हालांकि जीतने के पश्चात ज्योतिरादित्य सिंधिया जब संसदीय क्षेत्र में आए तो उन्होंने कहा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं अकेला 50 सांसदों के बराबर हूं और क्षेत्र के विकास में मैं कोई कमी नहीं आने दूंगा और विकास के लिए जनता की लड़ाई सड़कों पर आकर लडूंगा।
इससे संसदीय क्षेत्र में विकास की संभावनाएं तो बलवती होती हैं। लेकिन समय ही इस बात का जवाब देगा कि सिंधिया ने जो कहा वह धरातल पर क्रियान्वित भी होगा। स्व. राजमाता सिंधिया 96 में गुना संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में निर्वाचित हुई थीं, लेकिन बीमारी के कारण वह बिस्तर पर थीं उस दौरान संसदीय क्षेत्र के विकास का जि मा उनकी सुपुत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने संभाला था। यशोधरा राजे 98 में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भी हुई थीं और एक तरह से उन्होंने विधायक और सांसद दोनों की जि मेदारी का निर्वहन किया था। अटलबिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में यशोधरा राजे सिंधिया ने क्षेत्र को सबसे पहली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ दिलाया था। उस समय वैकया नायडू, मदनलाल खुराना जैसे कई मंत्री शिवपुरी आए थे।
इस समय भी यशोधरा राजे शिवपुरी से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। ऐसी स्थिति में उन पर नजरें भी केन्द्रित हैं कि विधायक के साथ-साथ गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के सांसद की जि मेदारी भी वह निर्वहन कर क्षेत्र को विकास की मु य धारा से नहीं कटने देंगी।