सिंधिया से नाराज रघुवंशी से मिलने पहुंचे केपी सिंह, 1 घंटा चली बातचीत

शिवपुरी। विधानसभा चुनाव में अपनी पराजय के कारण केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज चल रहे पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के निवास स्थान पर कल पिछोर के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री केपी सिंह ने मुलाकात कर सिंधिया खेमे में हलचल मचा दी है।
विधायक सिंह शिवपुरी जिले में दिग्विजय ङ्क्षसह खेमे के मु य सिपहसालार और रणनीतिकार हैं। जबकि विधानसभा चुनाव तक शिवपुरी में सिंधिया खेमे की कमान वीरेन्द्र रघुवंशी ही संभाले हुए थे, लेकिन राहुल गांधी के भोपाल आगमन के  अवसर पर उनके समक्ष श्री रघुवंशी ने अपनी पराजय के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और महेेन्द्र सिंह कालूखेड़ा को जि मेदार ठहराकर राजनैतिक हलकों में उबाल ला दिया था। 

इस संदर्भ में केपी सिंह का श्री रघुवंशी के निवास स्थान पर पहुंचने को कांग्रेस की गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि दोनों नेताओं ने मुलाकात के पश्चात बताया कि यह सौजन्य भेंट थी। बकौल केपी सिंह, कांग्रेस टिकट पर लड़े, लेकिन पराजित हुए उ मीदवारों के यहां उनका जाना सिर्फ उन्हें संबल प्रदान करने के लिए था। इसका कोई राजनैतिक अर्थ निकाला जाना उचित नहीं है। श्री सिंह के साथ रघुवंशी के निवास स्थान पर पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा, केन्द्रीय सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक भार्गव, गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बंटी रघुवंशी, बाशिद अली, कर्मचारी नेता चंदू बाबूजी आदि भी थे। 

जिले की कांग्रेस राजनीति में वीरेन्द्र रघुवंशी तब मजबूती से उभरकर सामने आए थे जब उन्होंने जिपं अध्यक्ष पद के चुनाव में केपी सिंह की रणनीति को विफल करते हुए सिंधिया खेमे की जूली आदिवासी को अध्यक्ष बनाने में सफलता हासिल की थी। इसी के पुरस्कार स्वरूप श्री रघुवंशी को विधानसभा चुनाव में सिंधिया की कृपा से कांग्रेस उ मीदवार बनाया गया था और वह विजयी होने में भी सफल रहे थे। श्री रघुवंशी उस दौरान जिला मु यालय की राजनीति में सिंधिया खेमे के मु य शिल्पी थे। इसी विश्वास की बदौलत उन्हें 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिला था, लेकिन वह पराजित हो गए थे। 

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वीरेन्द्र रघुवंशी को कांग्रेस उ मीदवार बनाया गया, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया ने पराजित कर दिया। श्री रघुवंशी का आरोप था कि उन्हें सिंधिया समर्थकों ने पराजित किया  था तथा पर्दे के पीछे इसमें मु य भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया और महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा की थी। उन्होंने खुले रूप में अपनी नाराजगी का इजहार किया और कहा कि वह अब सिंधिया खेमे की राजनीति नहीं करेंगे तथा लोकसभा  चुनाव में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करेंगे। 

उनके विरोध का शंखनाद तब प्रदेश की राजनीति में गूंजा जब उन्होंने भोपाल में राहुल गांधी के समक्ष अपनी पीड़ा का इजहार किया। बाद में उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा था कि अब सिंधिया खेमे से उनका कुछ लेना देना नहीं है तथा वह अपनी भविष्य की राजनीति के बारे में शीघ्र ही निर्णय लेंगे। क्या वह कांग्रेस में ही रहेंगे या अन्य किसी दल में शामिल होंगे? इसके बारे में वह शीघ्र ही फैसला करेंगे। ऐसे माहौल में केपी सिंह और वीरेन्द्र रघुवंशी की मुलाकात से राजनैतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। राजनैतिक हलकों में यह मायने निकाले जा रहे हैं कि विधायक सिंह पूर्व विधायक रघुवंशी को दिग्विजय सिंह खेमे से जोडऩे के लिए उनके निवास स्थान पर जाकर मिले थे। इस बारे में श्री रघुवंशी की प्रतिक्रिया क्या है? यह तो स्पष्ट नहीं हो सका, लेकिन उन्होंने पुन: दोहराया कि वह सिंधिया खेमे में तो कतई नहीं रहेंगे। इसके अलावा उनके पास अन्य सभी विकल्प खुले हुए हैं। 

विधायक सिंह ने नरूला के निवास स्थान पर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की

पिछोर विधायक केपी सिंह ने कल कांग्रेस नेता और प्रोपर्टी ब्रोकर सतीश नरूला तथा व्यवसाई जगदीश नरूला के महल कॉलोनी स्थित निवास स्थान पर पहुंचकर उनकी मां श्रीमती कृष्णाबंती नरूला के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की। इस अवसर पर श्री नरूला ने उन्हें बताया कि उनकी मां पूर्णत: स्वस्थ थीं, लेकिन अचानक तबियत बिगड़ जाने से उनका निधन हो गया। विधायक सिंह ने अपनी संवेदना में कहा कि मां का निधन अपूर्णीय क्षति होता है। इसकी भरपाई मुश्किल है। उन्होंने ईश्वर से शोक संतृप्त परिवार को शांति देने की ईश्वर से कामना की। इस अवसर पर प्रमुख रूप से श्रीप्रकाश शर्मा, अशोक भार्गव, एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष लवलेश जैन चीनू, राजेन्द्र गर्ग, चंदू बाबूजी, प्रमोद भार्गव, बाशिद अली आदि भी उपस्थित थे।