सेन्ट्रल डेस्क
शिवपुरी। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गोपनीय तरीके से एक फर्जी घटना को अंजाम देते हैं और आरोपियों को तुरंत पकडऩे के लिए वायरलेस पर सूचना दी जाती है, फिर यह देखा जाता है कि किस थाने की पुलिस कितनी सक्रिय है। पुलिस की कार्यप्रणाली में इस कार्रवाई को मॉकड्रिल कहा जाता है, लेकिन शिवपुरी में एक अजीबोगरीब मॉकड्रिल प्रकाश में आई। एसपी ने कन्ट्रोल रूम को बताया कि कमलागंज में एक लूट हुई है, लुटेरे ग्वालियर की तरफ भागे हैं। कन्ट्रोल रूम में वायरलेस मैसेज किया, नाकेबंदी हुई और सतनवाड़ा पुलिस ने तीन मासूम ग्रामीणों को धर दबोचा। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। लोग यह समझ नहीं पा रहे कि राह चलते ग्रामीणों को दबोचना कहां की सफलता है और उस नकली लुटेरे का क्या हुआ जो एसपी शिवपुरी की गोपनीय रणनीति के तहत ग्वालियर की ओर फरार हुआ था। वह तो पकड़ा ही नहीं गया।
पुलिस विभाग के आला अधिकारी मैदानी पुलिस की कार्यप्रणाली को सुधारने व सजग रखने के लिए इस तरह के परीक्षण करते है ताकि हर पुलिसकर्मी सतर्क रहे जिससे कोई दुर्घटना अथवा अपराध होने से पहले ही दबोच लिया। कुछ इसी रणनीति के तहत शिवपुरी एसपी ने आज वायरलैस व कंट्रोल रूम से सभी थानों को लूट की घटना के बारे में जानकारी दी गई। जिस पर तुरंत सतनबाडा पुलिस सतर्क हुई और आने-जाने वाले सभी वाहनों की तलाशी शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस को एक बाईक पर तीन लोग आते दिखे।
पुलिस ने अनुमान लगाया कि हो सकता है लूट के आरोपी यह लोग है तो तुरंत इन्हें रोका और पकडकर पूछताछ के लिए थाने बिठा लिया गया। तभी इस मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक श्री सिंह को दी गई। जहां श्री सिंह ने कहा कि पूछताछ के बाद ग्रामीणों को छोड दिया जाए। पुलिस कप्तान के आदेश का पालन करते हुए सतनबाडा पुलिस ने ग्रामीणों से पूछताछ की और कुछ देर बाद उन्हें सकुशल छोड दिया गया।
बाद में पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह मॉकड्रिल नहीं थी, किसी गलत सूचना दे दी थी जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई और मामले को रफादफा कर दिया गया।
बाद में पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह मॉकड्रिल नहीं थी, किसी गलत सूचना दे दी थी जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई और मामले को रफादफा कर दिया गया।
लेकिन यह घटनाक्रम अपने पीछे कुछ सवाल छोड़ गया।
- आखिर वो कौन था जिसने एसपी को गलत सूचना दी
- उसे पकड़कर कार्रवाई क्यों नहीं की गई
- क्यों सतनवाड़ा पुलिस ने निर्दोष ग्रामीणों को पकड़ा
- क्या ऐसे ही किसी भी मामले में नाकेबंदी कर राह चलते लोगों को पकड़ लेती है शिवपुरी पुलिस
- आम नागरिकों को परेशान करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई
- वो मोटरसाइकल किसकी है जो लावारिस हाल जप्त हुई
और इन सब सवालों का शायद एक ही जबाव है
- यह वही शिवपुरी पुलिस है जो सुसाइड नोट मिलने के बाद भी पटवारी को आत्महत्या पर मजबूर करने वाले तहसीलदार के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं कर रही है।