इन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के खिलाफ एंटीइंकम्बेंसी फैक्टर, क्या बदले जाएंगे टिकट

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शिवपुरी। कांग्रेस ने 2013 के पिछले विधानसभा चुनाव में शिवपुरी जिले की पांच सीटों में से तीन विधानसभा सीटों पिछोर, कोलारस और करैरा मेंं जीत हांसिल की। पिछोर विधानसभा सीट तो कांग्रेस पिछले पांच विधानसभा चुनावों से जीत रही है। जबकि करैरा और कोलारस में कांग्रेस ने भाजपा से सीटें छीनने में सफलता प्राप्त की है। करैरा में जहां 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रमेश खटीक ने कांग्रेस के बाबू राम नरेश को लगभग 12 हजार मतों से पराजित किया था। 

वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला खटीक ने 12 हजार मतों से ही भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक को पराजित कर बदला लिया था। भाजपा ने इस विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रत्याशी को बदल दिया था। लेकिन उसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला था। कोलारस में 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन ने महज 300-350 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी स्व.रामसिंह यादव को हराया था। जिसका करारा बदला रामसिंह यादव ने 2013 के विधानसभा चुनाव में लिया। 

जहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को 25 हजार मतों से शिकस्त दी। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की लीड बसपा उम्मीदवार न होने के बावजूद एक दम से घट गई और कांग्रेस महज छह-साढ़े 6 हजार मतों से चुनाव जीती। लेकिन 2018 के तीन-चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पिछोर सीट जहां फिलहाल कांग्रेस के लिए सेफ मानी जा रही है। वहीं कोलारस और करैरा विधानसभा सीट पर एंटीइंकम्बेंसी फैक्टर के कारण कांग्रेस की मुश्किले बढ़ती हुई नजर आ रही है।

कांग्रेस के लिए कोलारस और करैरा सीट चिंता का कारण है। कोलारस में महज तीन माह पहले हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र यादव चुनाव जीत भले ही गए हों। लेकिन 2013 में हुए चुनाव से उनके पक्ष में आए परिणाम की यदि तुलना की जाए तो कांग्रेस की लीड लगभग 40 हजार मतों से घटकर महज 8 हजार मतों की रह गई। यहीं कारण है कि कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया कोलारस सीट को अपने पक्ष में जीता हुआ मान रही हैं। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी ऐसा ही मानना है और परिणाम आने के बाद खास बात यह रही कि कांग्रेस से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोलारस की जनता का आभार व्यक्त करने के लिए आए। उन्होंने विनम्रता से कहा भले ही हम चुनाव हार गए हैं। लेकिन उपचुनाव के दौरान जो वायदे भी हमने किए है उन्हें अवश्य पूरा किया जाएगा। भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य सुरेंद्र शर्मा तो तब से लगातार कोलारस की जन समस्याएं न केवल उठा रहे हैं बल्कि उसके निराकरण का प्रयास भी कर रहे हैं। 

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में कोलारस सीट को जीतने का लक्ष्य बनाया है और उसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर पार्टी मेहनत कर रही है। उपचुनाव के बाद कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के भी कोलारस दौरे हो गए हैं। घोषणा के अनुरूप बदरवास में महाविद्यालय खुल गया है। वहीं इंटरसिटी एक्सप्रेस का स्टोपेज भी कोलारस में शुरू हो गया है। भाजपा की तुलना में विधायक महेंद्र यादव की सक्रियता से अधिक उनके हावभाव के चर्चे हो रहे हैं। 

कोलारस के लोगों का मानना है कि विधायक बनने के बाद महेंद्र यादव के तेवर बदले हैं और उनका बदला हुआ स्वरूप साफ नजर आ रहा है। इस कारण यदि कांग्रेस जैसा नजर आ रहा है महेंद्र यादव की उम्मीदवारी पर आश्रित रही तो कोलारस में उसे लेने के देने पड़ सकते हैं। ठीक यहीं कहानी करैरा विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रही है। पिछले विधानसभा चुनाव मेंं शकुंतला खटीक को पहली बार विधायक पद का टिकट मिला। 

महिला होने और अच्छे व्यवहार के कारण उन्हें मतदाताओं का समर्थन मिला तथा मतदाताओं ने भाजपा के बाहरी प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक को नकार दिया और शकुंतला खटीक को एक बड़ी विजयी दिलाई। लेकिन विधायक बनने के बाद श्रीमति खटीक की जनता से दूरियां बढ़ी और पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को वह अपने व्यवहार से संतुष्ट नहीं कर सकीं। 

उनकी विवादास्पद कार्यप्रणाली भी खासी चर्चा में रही और अपने समर्थकों को पुलिस थाने में आग लगाने का आदेश देने के कारण उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ जिसमें बड़ी मुश्किल से उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिली। ऐसी स्थिति में करैरा में कांग्रेस के लिए शकुंतला खटीक की उम्मीदवारी रहते दिक्कते ही दिक्कते हैं। देखना यह है कि क्या कांग्रेस कोलारस और करैरा में अपने वर्तमान विधायकों पर ही आश्रित रहेगी अथवा नए उम्मीदवारों को मौका दिया जाएगा।
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