वीरेन्द्र रघुवंशी: अक्रामक नेता, सतत जनसंपर्क प्लस पर मायनस पोंइट भी कम नही

सतेन्द्र उपाध्याय/शिवपुरी। कोलारस विधायक रामसिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई कोलारस विधान सभा की चुनाव की तारिखो की घोषण अभी शेष है। लेकिन कोलारस में चुनाव को लेकर राजनीतिक उठाफटक अभी से शुरू हो गई है। टिकिट चाहने वाले की एक लम्बी कतार है। हर कोई अपने को सर्वश्रेष्ठ बताकर चुनाव में विजयी होने की बात कर रहा है। कांग्रेस को हाथ छोडकर भाजपा में शामिल हुए,अपने राजनीतिक जीवन की शुरूवात क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य संधिया के साथ शुरू की थी। रघुवंशी ने शिवपुरी विधान सभा का उपचुनाव जीता था,इस चुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा के सीएम शिवराज और उनकी पूरी कैबिनेट ने इस चुनाव में दम लगाया था,लेकिन वह भाजपा के प्रत्याशी को जीता नही सके। 

इसके बाद मप्र के आम विधान सभा चुनाव में वीरेन्द्र रघुवंशी को शिवपुरी विधान सभा से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन वह चुनाव हार गए। इसके बाद वीरेन्द्र रघुवंशी ने कांग्रेस का हाथ छोड भाजपा का दामन  थाम लिया और राजनैतिक क्षेत्र शिवपुरी विधानसभा से बदल कर कोलारस कर लिया। 

वीरेन्द्र रघुवंशी पिछले 3 वर्षो से कोलारस में सक्रिय राजनीति कर रहे है,और इस उपचुनाव में कोलारस से भाजपा से टिकिट की मांग दमदारी से कर रहे है। वीरेन्द्र रघुवंशी एक अक्रामक नेता के रूप में जाने जाते है। अपने कार्यर्ताओ को समर्पित नेता माने जाते है। पिछले 3 वर्षो से कोलारस क्षेत्र में लगातार दौर कर रहे है। कार्यकर्ता और पब्लिक से सतत सपर्क अपने धनबल के कारण ही वह भाजपा से उभरते हुए उम्मीदवार बनते जा रहे है। 

कोलारस चुनाव एक महंगा चुनाव होता है। वीरेन्द्र रघुवंशी ने कोलारस विधानसभा क्षेत्र की दीवालों पर भी रंग रौनक करा कर अपने टिकिट की बात फिलहाल फाईनल बता रहे है। अभी हाल ही में इनके अथक प्रयासों से सिंध नदी पर चार स्टॉफ डेम तथा बदरवास क्षेत्र में एक डेम की स्वीकृति में प्रयासरत काफी सुर्खियां बटौरी है। जो इनके पक्ष को भारी करने का काम कर रही है। 

हर सिक्के के दो पहलू होते है हन सभी बातो को लेकर  वीरेन्द्र रघुवंशी  कोलारस के इस उपचुनाव में भाजपा की ओर से सशक्त उम्मीदवार के रूप में खडे दिखाई देते है,लेकिन उनका सबसे बडा माईनस पोंइट है उनकी जाति के वोटरो का कम होना। 

कहते है कि बडा नेता बनना है तो छोटी राजनीति से दूर होना चाहिए,वीरेन्द्र रघुवंशी की जितनी भी रघुवंशी बहुल पंचायते है उन सभी पंचायतो में पंचायत के चुनावो में दखलनदांजी के कारण रघुवंशी का विरोध है। और यह सबसे बडा नुकसान है कि उम्मीदवार जिस जाति का वही जाति उसका विरोध कर रही है। 

उम्मीदार की सर्वप्रथम ताकत अपनी जाति के वोटर होते है,वे ही इनके खिलाफ है। बताया गया है कि ग्राम पंचायत रिजौदा में बीते पचायत चुनाब में निर्विरोध होने जा रहे पंचायत चुनाब में रातों रात एक पंच को फार्म भरवाया। जिसके चलते पूरा गांव इन महाशय के विरोध में है। 

ताजा उदाहरण लुकवासा के गणपति विर्षजन जुलूस में  हंगामा करने के बाद जुलूस के संचालक आरएसएस नेता पर एफ आईआर दर्ज कराई थी। उसके बाद लुकबासा क्षेत्र में रघुवंशी समाज में रोष व्याप्त है। उनके ग्रह नगर की बात करें तो यहां हालात और भी बुरे है। स्थानीय सरपंच के खिलाफ लगातार शिकायतों के चलते काम न करने के चलते यहां भी इनकी हालात ठीक नहीं है। 

नोट 
शिवपुरी समाचार कोलारस विधान सभा के उपचुनाव में टिकिट मांग रहे नेताओ की हर पहलू को प्रकाशित करता रहेगा। पाठको से निवेदन है कि वे प्रत्याशियो के विषय में सुझाव देना चाहते है तो संपर्क कर सकते है। इसके अतिरिक्त जो प्रत्याशी चुनाव में टिकिट के दावेदारी कर रहा है वह भी अपना पक्ष रख सकता है।