शिवपुरी की प्रभारी कलेक्टर के खिलाफ पूरे मप्र में पत्रकार काली पट्टी बांधेंगे

शिवपुरी। शिवपुरी जिले की प्रभारी कलेक्टर नेहा सिंह मारव्या के अडिय़ल रुख के चलते पत्रकारों का आंदोलन दिनों दिन तेज होता जा रहा है, लेकिन प्रभारी कलेक्टर अपने रुख पर कायम हैं और शिवपुरी की मीडिया भी अपने स्वाभिमान पर अडी है। परिणामस्वरूप आंदोलन की आग अब संभाग के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर भी पहुंचती जा रही है। 

हाल ही में मप्र पत्रकार संघ के संस्थापक महासचिव राजेश शर्मा ने पत्रकारों के इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए घोषणा कर दी है कि जब तक आंदोलन चलेगा तब तक प्रदेश के सभी पत्रकार काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। पत्रकारों के इस आंदोलन को आम आदमी पार्टी, कांग्रेस सहित तमाम दलों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। 

विदित हो कि पत्रकारों और प्रभारी कलेक्टर के बीच टकराव की स्थिति तब निर्मित हुई जब 25 जनवरी को पोलोग्राउण्ड पर परेड की फायनल रिहर्सल के दौरान प्रभारी कलेक्टर नेहा सिंह मारव्या ने जनसंपर्क अधिकारी को कड़ी भाषा में मीडिया कवरेज के लिए गाइडलाइन तय कीं। इतना ही नहीं उन्होंने पत्रकारों को कवरेज के दौरान स्कूली बच्चों की तरह एक लाइन के भीतर रहने को कहा। विरोध में शिवपुरी जिले के ग्राम पंचायत स्तर तक गणतंत्र दिवस समारोह के कवरेज का बहिष्कार कर दिया गया। 

तनाव बढ़ा तो प्रभारी कलेक्टर ने इससे निपटने की जिम्मेदारी जनसंपर्क अधिकारी पर डाल दी। पत्रकार चाहते थे कि प्रभारी कलेक्टर खुद आकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें लेकिन प्रभारी कलेक्टर का अडिय़ल रुख कायम रहा। जिससे पत्रकार न सिर्फ एकजुट हो गए, बल्कि वे आंदोलित भी हो गए। तमतमाई प्रभारी कलेक्टर ने जिला अस्पताल में मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी। 

बस यहीं से आंदोलन की रूपेरखा बन गई और संवादहीनता के परिणामस्वरूप स्थिति अनिश्चितकालीन धरने तक आ गई और सर्वसम्मति से निर्णय लेकर संयुक्त पत्रकार मोर्चा का गठन कर पत्रकार कलेक्ट्रेट मुख्य द्वार के ठीक सामने धरने पर बैठ गए। बीते तीन दिनों से चल रहे धरने के बाद भी प्रभारी कलेक्टर अपने रुख पर कायम है।

अनुभवहीनता आई आड़े
पत्रकार और प्रभारी कलेक्टर के बीच चल रहे मामले पर अधिकांश वरिष्ठ अधिकारियों का मत है कि एक अधिकारी को इस तरह का अडिय़ल रुख नहीं अपनाना चाहिए, उनका यहां तक कहना है कि उनकी अनुभवहीनता एवं ईगो आड़े आ रहा है। उनका मानना है कि यदि कोई अनुभवी अधिकारी शिवपुरी की कमान संभाले होता तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती। बता दें कि प्रभारी कलेक्टर के तुनकमिजाज व्यवहार से उनके अधीनस्थ कर्मचारी भी नाराज हैं। वो बात बात पर कर्मचारी को नौकरी से निकालने की धमकी देतीं हैं। 
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