BRS के बहाने डॉ चला रहे है अपनी दुकान, फिर भी प्रशासन मौन

शिवपुरी। एक साथ चार डॉक्टरों के बीआएस लेने के बाद खुद बेन्टिलेटर पर आए जिला चिकित्सालय की हालात सुधरने का नाम नहीं ले रही है वही स्वेच्छा सेबानिवत्ति ले चुके डॉक्टर अपनी दुकानों को चमकाने में जुट गए है। उसके बाद भी प्रभारी कलेक्टर उक्त डॉक्टरों की दुकानों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है और मध्यप्रदेश के नबंर 1 चिकित्सालय की दुर्दशा को दिखाने बाले मीडिया कर्मीयों पर प्रतिबंध का फरमान जारी करने में जुटी है।

शिवपुरी जिला चिकित्सालय में सरेआम मौतों की बाट जोह रहे इस चिकित्सालय पर यहां प्रशासन से लेकर शासन तक कोई भी इस जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर संजीदगी नहीं दिखा रहा। यहां मेडिसिन डिपार्टमेंट से लेकर आईसीयू, और डायलेसिस यूनिट तक ठप है एक्स रे में पदस्त ऑपरेटर पर छेड़छाड़ का आरोप लगने के बाद एक्सरे व्यवस्था पर भी ग्रहण लग गया है जबकि इन मूल भूत सुविधाओं के बजाए शासन यहां पुराने भवन पर बिल्डिंग तानने में करोड़ों रुपए पानी की तरह से बहा रहा है। 

वर्षो से शिवपुरी में पोस्टेड रहे डाक्टर्स एक एक कर नौकरी छोड़ कर घर बैठना बेहतर समझ रहे हैं क्योंकि  यहां जिला अस्पताल को कुछ वरिष्ठ डॉक्टर्स ने राजनीति और षडय़ंत्रों का अखाड़ा बना कर रख दिया है। यहां के नेताओं की बात करें तो वे चाटुकारिता पसंद हैं उन्हें आम जनता क्या भुगत रही है इससे कोई मतलब नहीं है। 

शहर में अपने घरों पर इन डॉक्टरों द्वारा नर्सिंग हो स का बिना पंजीयन संचालन, घरों से ही जांच सेन्टर्स का संचालन और चिकित्सकों द्वारा घरों पर ही बिना लायसेंस के से पल की दवाओं की विक्री करना यह सब कैसे वैध कहा जा सकता है यदि इन सब पर रोक लगे तो केवल फीस से किसी का गुजारा होने से रहा ऐसे में नौकरी छोड़ बैठे कुछ डाक्टर्स भी विचारण की मुद्रा में आ सकते हैं मगर प्रश्न वही कि आखिर कार्यवाही कौन करे।

हालांकि पहले इन डाक्टर्स के रहते भी यह अस्पताल केवल और केवल रैफरल सेन्टर भर था यहां से डाक्टर्स या तो निजी नर्सिंग होम का पता थमाते थे या फिर ग्वालियर के डाक्टर्स के कमीशन एजेन्ट की भूमिका का निर्वहन करते थे मगर तब भी जनता को संतोष यह होता था कि चलो विशेषज्ञ ने सलाह परोसी है इसमें कुछ तो दम होगा आज तो वह स्थिति भी नहीं रही। 

पर अब तो जिला अस्पताल में अब तो कोई नब्ज थामने वाला भी नहीं रह गया। स्वैच्छिक सेवा निवृति मंजूर नहीं हुई तो किस आधार पर ये घर बैठ गए यह भी पूछने वाला कोई नहीं। शासन इस जिला अस्पताल में जिन डाक्टर्स की पोस्टिंग का दावा कर रहा है वे अब तक यहां  नहीं आए है सुना है जिन डॉक्टरोंं को छतरपुर से यहां पर भेजा है वह भी अपनी दुकानों को छोडक़र यहां आने से कतरा रहे है।

शिवपुरी के प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह जो कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं वे यदि अपने ही प्रभार क्षेत्र में स्वाथ्य की थम चुकी नब्ज को नहीं देख पा रहे है और ऊटपटांग वयान जारी कर रहे है तो उनसे भी जिले की जनता का उम्मीद करना बैकार है।