
विदित हो कि पूर्व में जब नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा था। तब भी सत्तादल की गुटीय राजनीति के कारण यहां सीएमओ फुटबॉल बने हुए थे और यहां सीएमओ की कुर्सी पर एक के बाद एक आते रहे और जाते रहे। प्रभारियों की स्थिति भी यही बनी। अब जैसी कि सुगबुगाहट है एक वार फिर से यहां प्रशासनिक उलट फेर हो सकता है जिसमें कुछ अहम पदों पर चेंज के आसार हैं।
हालांकि यह तय है कि जोभी होगा उसमें शिवपुरी विधायक की रजामंदी का बड़ा रोल होगा उनकी हरी झण्डी के बाद ही मंत्रालय से किसी बदलाव का फरमान निकल सकता है।
सूत्रों की माने तो यहां जिस तरह का घमासान मचा है और शहर के जो मौजूदा हालात हैं उसके दृष्टिगत ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी खुद को असहज पा रहे हैं और वे यहां टिकने के मूड में नहीं है।
यशोधरा राजे सिंधिया फिलहाल पारिवारिक कारणों से व्यस्त बताई जा रही हैं ऐसे में उनकी रजामंदी यदि मिलती है तो इस बीच बदलाव से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जो भी बदलाव होगा उसमें विधायक की पसंद पर ही अंतिम मोहर लगना तय है।