छात्रावास के निरीक्षण में महिला आयोग को मिली तमाम खामियां

शिवपुरी। बीती रात्रि प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े ने अपनी टीम के साथ कमलागंज में स्थित छात्रावासों का औचक निरीक्षण किया जहां उन्हें कर्ई खामियां मिली मौके पर ही उन्होंने बालिकाओं की समस्याओं को भी सुना जहां उन्हें खाने-पीने संबंधी शिकायतें भी प्राप्त हुई। उन्होंने तीन छात्रावासों का निरीक्षण किया जिनमें अनुसूचित जाति छात्रावास, आदिम जाति विभाग द्वारा संचालित पिछड़ा वर्ग छात्रावास, प्रीमैट्रिक कन्या छात्रावास, उत्कृष्ट कन्या छात्रावास और जिला पोस्ट मैट्रिक पिछड़ा वर्र्ग कन्या छात्रावास शामिल थे। 

निरीक्षण के दौरान छात्रावासों की छात्राओं ने खाने में पोष्टिक आहार न मिलने की शिकायत की। वहीं पिछड़ा वर्ग की छात्राओं ने उन्हें बताया कि उन्हें तो खाना शासन द्वारा नहीं दिया जाता है और वह अपने ही निजी व्यय से खाना खाती हैं। आदिम जाति विभाग द्वारा संचालित छात्रावास की बालिकाओं ने पूर्व में पदस्थ अधीक्षिका प्रीति सूर्यवंशी की शिकायत करते हुए कहा कि उनके द्वारा  हमें गालियां दी जाती है और अश्लील भाषा में बात करती है। 

बालिकाओं ने बातचीत के कुछ अंश श्रीमती बानखेड़े के कान में कहीं जिस पर महिला आयोग की अध्यक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी अधीक्षिका को स्थानांतरित करना कोई हल नहीं है। उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। मैने यह मामला संज्ञान में ले लिया है। अब कार्रवाई की जाएगी। 

बालिका छात्रावास से निकलने के बाद वह पास में ही स्थित अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्र्ग छात्रावास पहुंची जहां पहले से ही छात्रावास अधीक्षिका ने पूरी तैयारियां कर ली थी। जब महिला आयोग की टीम छात्रावास में पहुंची तो वहां मौजूद शिक्षक छात्राओं को कोचिंग पढ़ाते दिखे। वहीं छात्रावास में बच्चियों के विस्तर भी साफ एवं स्वच्छ मिले। 

जिन्हें देखकर श्रीमती वानखेड़े ने बच्चियों को बुलाकर उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह सफाई व्यवस्था शासन की ओर से नहीं की जाती है हम स्वयं ही यह व्यवस्था करते हैं। इसलिए यह स्वच्छता दिख रही है। बालिकाओं के एक समूह ने श्रीमती वानखेड़े से कहा कि साफ-सफाई रखना हमने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीखा है और उनके कहे अनुसार हम छात्रावास को स्वच्छ रखते हैं। 

बालिकाओं की इस बात को सुनकर महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती वानखेड़े ने बालिकाओं को अपने सीने से लगा लिया और उनकी इस बात के लिए प्रशंसा की। जाते-जाते श्रीमती वानखेड़े ने यह अवश्यक कहा कि बालिकायें खुलकर कुछ नहीं बोल पा रही है। 

इसलिए उन्हें छात्रावासों की कार्य शैली पर पूर्ण विश्वास नहीं है। इसलिए उन्होंने बालिकाओं से बातचीत की जहां उन्हें कुछ शिकायतें मिली है। वहीं कुछ बालिकायें बताने से कतरा रही थी। ऐसी स्थिति यह स्पष्ट है कि छात्रावासों की मॉनीटरिंग जरूरी है। 
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