पोहरी विधानसभा क्षेत्र में फिर मिलना शुरू हुई हरिबल्लभ को चुनौती

शिवपुरी। पिछले विधानसभा चुनाव में स्थानीय कांग्रेस नेताओं की आवाज को नजरअंदाज कर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पोहरी से पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला को मजबूत प्रत्याशी मानते हुए प्रत्याशी बनाया था। हरिबल्लभ ने उक्त चुनाव मजबूती से लड़ा, लेकिन मामूली अंतर से वह भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती से चुनाव हार गए। उनकी हार में कांग्रेसियों के भितरघात ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बार फिर टिकट लेने के लिए उत्सुक हरिबल्लभ शुक्ला का विरोध शुरू हो गया है। 

जनता में अपने जनाधार को प्रदर्शित करने के लिए हरिबल्लभ ने पोहरी विधानसभा क्षेत्र के बैराड़ में विशाल किसान जनाक्रोश एवं युवा चेतना रैली का आयोजन किया, लेकिन इस आयोजन से हरिबल्ल ा विरोधी स्थानीय नेताओं ने अपनी दूरी बनाकर र ाी। हालांकि कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव और वरिष्ठ कांगे्रस नेता बैजनाथ सिंह यादव, सेवादल जिलाध्यक्ष अनिल उत्साही, रविन्द्र शिवहरे और अन्नी शर्मा ने उपस्थित होकर हरिबल्लभ का उत्साहवर्धन किया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामसिंह यादव ने गुटबाजी को महसूस कर हरिबल्लभ विरोधियों को हिदायत दी कि उन्हें एकता के सूत्र में बंधकर कार्य कर कांग्रेस को मजबूती प्रदान करना चाहिए। 

पोहरी कांग्रेस में हरिबल्लभ समर्थक और विरोधियों के बीच गुटबाजी की खाई इतनी गहरी है कि दोनों खेमे एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते, बल्कि दुश्मनी की हद तक जाकर इस खाई को निरंतर गहरा करने में जुटे हुए हैं, लेकिन हरिबल्लभ की इस चुनाव में पोहरी के साथ-साथ शिवपुरी पर भी नजर है। इसी मकसद से हरिबल्लभ के सुपुत्र आलोक शुक्ला ने शिवपुरी में जबर्दस्त बाइक रैली निकालकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से भी यदि हरिबल्लभ को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया जाता है तो वह मजबूत चुनौती देने में सफल रहेंगे। 

इसे भांपकर शिवपुरी के टिकट के इच्छुुक कांग्रेस नेताओं ने उनकी रैली को विफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद भी हरिबल्लभ अपनी पकड़ स्थापित करने में काफी हद तक सफल रहे। शिवपुरी से वह सन् 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा की सबसे मजबूत प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया को तगड़ी चुनौती पेश कर चुके हैं। हरिबल्लभ ने जब शिवपुरी पर नजरें केन्द्रित की तो पोहरी के कांग्रेस टिकट के इच्छुक नेताओं में खुशी का संचार हुआ, लेकिन हरिबल्लभ पोहरी और शिवपुरी दोनों पर ध्यान रखकर विधानसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते थे। 

कुछ समय पहले किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और हरिबल्लभ विरोधी एवं पोहरी से कांग्रेस टिकट के मजबूत दावेदार सुरेश राठखेड़ा (धाकड़) ने पोहरी में किसानों की समस्या को लेकर जब ज्ञापन दिया तो उसमें हरिबल्लभ विरोधी सभी नेताओं की भागीदारी थी सिर्फ हरिबल्लभ मौजूद नहीं थे। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया था। अपने विरोधियों को मात देने के लिए हरिबल्लभ ने जब बैराड़ में आयोजन किया तो उन्हें समझ आ रहा था कि स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेसियों का उन्हें समर्थन नहीं मिलेगा इसलिए जिला मु यालय से रामसिंह यादव से लेकर नगर पालिका उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा को वह बैराड़ के आंदोलन में अपने साथ ले गए। बैराड़ में कांग्रेस के आंदोलन में अनुपस्थित रहने वालों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता केशव सिंह तोमर, किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुरेश राठखेड़ा, 2004 के चुनाव में पोहरी से लड़े एनपी शर्मा, विनोद धाकड़ एडवोकेट, जिला कांग्रेस के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण धाकड़, अवतार सिंह गुर्जर आदि नेता थे। 

केशव सिंह के नेतृत्व में हरिबल्लभ विरोधी हो रहे हैं एकत्रित 
पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी पोहरी में टिकट की दौड़ में हरिबल्लभ को पटकनी देने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता केशव सिंह तोमर के नेतृत्व में हरिबल्लभ विरोधी एकत्रित हो रहे हैं। खास बात यह है कि हरिबल्लभ विरोधी सभी स्थानीय नेता टिकट के दावेदार हैं। इनमें किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुरेश राठखेड़ा, एनपी शर्मा, लक्ष्मीनारायण धाकड़ एडवोकेट, विनोद धाकड़ एडवोकेट आदि मुख्य हैं। 
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