यौन शोषण भंडाफोड: जांच के नाम पर निरीक्षण दल काजू-किसमिस खा कर आ जाता था

शिवुपरी। समाज सेवा के नाम पर चल रहे शकुतंला परमार्थ समिति के बैनर तले अनाथ आश्रम में योनशोषण का जबसे भंडाफोड हुआ है। तब से शहर का बुद्धिजीवि वर्ग लगातार सवाल खडे कर रहा है कि इससे पूर्व भी इन अनाथ आश्रम की जांच प्रशासन द्वारा की जाती थी। जो वह जांच कैसे होती थी। 

सवाल बडा उठाया जा रहा है कि शकुतंला परमार्थ समिति के बैनर तले पटेल नगर में शिशु ग्रह,माधव वाल ग्रह और नारी निकेतन का संचालन  एडवोकेट शैला अग्रवाल द्वारा किया जाता था। चूकि यह इनका संचालन सरकारी मदद से किया जाता था। इस कारण प्रशासन की टीमे लगातार इससे पूर्व भी औचक निरीक्षण अवश्य किया जाता रहा होगा। 

वह निरीक्षण कैसे किया जाता रहा है। इन आश्रमो में रह रही लडकिया अगर शिकायत नही करती तो शायद यह घिनौना खेल और कितने साल तक चलता। यह सवाल आज बीच चौराहे पर जबाव के लिए खडा है।

कहने का सीधा-सीधा अर्थ है कि कागजो की खाना पूर्ति के लिए आज तक इस अनाथ आश्रम पर जितनी भी टीमे जांच के लिए गई है। वह क्या काजू किसमिस खाकर वापस आ जाती थी। क्यो आज तक इन बच्चियों ने से अकेले में अधिकारियों ने बातचीत नही की गई। 

क्या अभी तक यह सभी निरीक्षणो की सूचना पूर्व ही दी जाती थी। क्या इन मासूमो की बेदना इन काजू किसमिस के नाश्ते में दब कर रही जाती थी। कुल मिलाकर आज तक इस आश्रम में जितने भी निरिक्षण किए गए है वे सभी प्रयोजित होते थे। निरीक्षणो की सूचना पूर्व ही इस योन शोषण काण्ड की आरोपी एड शैला अग्रवाल को दी जाती रही है। 
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