शिवपुरी बाजार: मियाद से पहले लौटी हुंडिया, सदियों पुरानी परंपरा टूटी

ललित मुदगल एक्सरे/शिवपुरी। देश में नोटबंदी के घाव अभी भरे ही नही थे कि उन पर अफवाहो का नमक भी लग गया लेकिन इन सभी अफवाहो में एक खबर शिवपुरी बाजार से निकल कर आई है कि मियाद से पूर्व ही हुंडिया लौट रही है। वो भी बंद हो चुके नोटो में इस कारण शिवपुरी के नगर सेठ संकट में है।

ये हुंडी क्या होती है 
पहले हम पाठकों को हम यह ज्ञात करा दे कि हुंडी किसे कहते है। व्यापारिक भाषा में हुंडी किसी सेठ से उधार पैसे लेने की सबसे प्राचीन प्रक्रिया को कहते हैं, इसकी लिखा पढी ऐसे होती है जो व्यापारी उधार ले रहा है वह दो गवाहों के समझ अपनी फर्म के लेटर पेड पर उधार ली गई रकम और तय की गई ब्याज की रााशि सहित लोटाने वाली दिनांक भरकर देता है। 

तिरुपति में स्थापित है देश की सबसे बड़ी हुंडी
देश की सबसे बड़ी हुंडी दक्षिण भारत में देश के सबसे प्रख्यात मंदिर श्री तिरुपति बालाजी मे स्थापित है। देश के लाखों व्यापारी श्री तिरुपति बालाजी के नाम से व्यापार शुरू करते हैं और अपनी कमाई का 10 प्रतिशत उनकी हुंडी में चढ़ाते हैं। यह मासिक, त्रेमासिक, छ:माही और वार्षिक होता है। व्यापारिक लेनदेन में हुंडी सदियों से भरोसे का अटूट नाम रहा है। वचनबद्धता ही इसकी पहचान है। कहते हैं जो व्यापारी हुंडी का वचन तोड़ता है, साक्षत देवी लक्ष्मी उससे रूठ जातीं हैं और फिर कभी वापस नहीं आतीं। सैंकड़ों सालों में ऐसी कई घटनाएं हुंडी की परंपरा का प्रमाण भी हैं जहां नियम तोड़ने वाले व्यापारी हमेशा के लिए बर्बाद हो गए। फिर कभी पनप नहीं पाए। 

भारत की सबसे प्राचीन और गारंटीड बिजनेस लोन प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अच्छी बात यह होती है कि रकम लोटाने की दी गई तारीख चूकती नही है। अगर हुंडी पर अंकित की गई तारीख पर रकम नही लौटती है तो उस व्यापारी को कभी हुंडी नही मिलती है और उसकी मार्केट में साख खराब हो जाती है। इसमे रकम लौटाने का समय तय रहता है। और कहा जाता है कि तय शुदा तारीख पर शत प्रतिशत हुंडिया वापस लौटती है। ना तारीख से एक दिन पहले ना तारीख के एक दिन बाद। यही इसकी विशेषता है। 

तय तारीख से पहले ही लौट आईं हुडियां
अब मूल न्यूज की ओर लोटते है। इस बताया जा रहा है कि पूरे जिले में लगभग एक सैकडा सेठ हुंडी लिखते है। और उनका अरबों रूपए का कालाधन इन हुंडियों में खपा है लेकिन अब यह हुंडिया मय रकम के वापस लौटने लगीं है वो तय कि गई दिनांक से पूर्व। वह भी बंद हो गए नोटो में। इस तरह इन नगर सेठों के बंद हो चुकी करेंसी लौट रही है। कुछ सेठ तो हुंडिया वापस ले रहे है और कुछ नही...। 

सैंकड़ों साल पुराना नियम टूट गया
हुंडी वापस लौटाने वाले व्यापारी कह रहे है कि हमारा भी पैसा वापस लौट रहा है हम इस पैसे को कहा ले जाए इस तरह से मार्केट में हुंडियो के वापस लौटने की खबरे आ रही है। इन हुंडियो के वापस लोटने से व्यापार का सैकडो साल पुराना नियम भी टूट रहा है। 

बताया जा रहा है कि पीढियो से हुंडिया तयशुदा दिनांक पर ही वापस लौटती थी लेकिन यह सैकडो साल पुराना हुंडियो का नियम टूट गया है। और काले धन वाले नगर सेठ इस आस में वापस ले रहे है कि इस काले धन को किसी न किसी तरह सफेद कर लेगें लेकिन उन पर संकट के बादल अवश्य मंडरा रहे है। 
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