
आवेदन में प्राप्त जानकारी के अनुसार पोहरी तहसील के ग्राम बगदिया में सर्वे क्रं 263/7 भूमि वर्ष 2000 तक दस साला खसरे में असाडया पुत्र वाला के नाम से थी, असाडया की मृत्यू के उपरांत उक्त भूमि असाडया आदिवासी के वारिश चैतू, मदनू एवं नवलू के नाम पर नामांतरित कर दी गई थी, चैतू मदनू नवलू की मृत्यू के उपरांत उनके वैध वारिसों के द्वारा पोहरी तहसील न्यायालय में प्रकरण क्र 126/12-13/ अ-6 दर्ज कराया गया था।
जिसमें कल्लू, परसादी पुत्रगण चैतू आदिवासी, हबलो पुत्री चैतू आदिवासी, मोती रामकिषन पुत्रगण मदनू के नाम पर नामांतरण करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था, परंतु जमीन हडपने में माहिर ग्वालीपुरा की पूर्व सरपंच साबो पत्नि स्व रमले आदिवासी द्वारा उक्त प्रकरण में आपत्ति दर्ज कराकर फर्जी वसीयतनामा प्रस्तुत किया गया जिसे तत्कालीन तहसीलदार आरके षर्मा द्वारा आर्थिक लाभ के चलते बिना जॉच किए ही मानते हुए साबो के पक्ष में आदेष पारित कर दिया, इस पूरे मामले में तहसीलदार पोहरी के रीडर कैलाष बरोदिया द्वारा भी पक्षपात किया गया क्रूोकि उसे जमीन अपने नाम करानी थी।
इस पूरे मामले में कैलाश बाबू एवं पूर्व सरपंच साबो आदिवासी द्वारा फर्जी वसीयतनामा प्रस्तुत किए गये जिनकी जॉंच करना भी अधिकारियों ने उचित नहीं समझा। उक्त भूमि का नामांतरण साबो बेबा रमले के नाम पर कराने के बाद तहसीलदार के रीडर कैलाश बरोदिया द्वारा उक्त भूमि की रजिस्ट्री अपर आयुक्त का स्टे आर्डर होने के बाद भी 19 जनवरी 2015 को अपनी पत्नि कमला नाम करा ली गई। उक्त पूरे मामले में तहसीलदार पोहरी के रीडर कैलाष बरोदिया की भमिका संदिग्द है जमीन हडपने के लिए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए बाबू ने इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया है।
स्टे आर्डर के बाद भी हो गई रजिस्ट्री एवं नामामंतरण
उक्त मामले में पोहरी तहसील में पदस्थ रीडर कैलाष बरोदिया ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए बगदिया स्थित भूमि सर्वे क्र 263/7 रकवा 3 हेक्ट को गरीब आदिवासियों से हडप लिया, न्यायालय अपर आयुक्त राजस्व संभाग ग्वालियर को प्रकरण क्रं 245/13-14/अपील में प्रकरण प्रचलित होने के दौरान 21 मई 2014 को स्थगन आदेश दिया था कि वादग्रस्त भूमि का अंतरण आगामी आदेश तक प्रतिबंधित किया जाता है परंतु तहसील में पदस्थ बाबू के प्रभाव के चलते 19 जनवरी 2015 को उक्त भूमि की रजिस्ट्री कमला पत्नि कैलाश बरोदिया के नाम करा दी गई। अपने पद का दुरूपयोग करते हुए 12 फरवरी 2015 को उक्त भूमि का नामांतरण भी बाबू द्वारा अपनी पत्नि के नाम करा लिया गया जबकि उक्त सर्वे नं पर अपर आयुक्त का स्टे आर्डर भी था।