आंतक का अंत: उत्पाती बंदर रेस्कयु कर दबौचा, सौ से ज्यादा बच्चो को बना चुका था शिकार

शिवपुरी। बीते पांच महीने से नगर में आतंक का पर्याय बना खूंखार बंदर आखिरकार पकड़ा गया है। दो दिन की कड़ी मशक्कत के बाद वन महकमे की रेस्क्यू टीम ने इसे पकडऩे में कामयाबी हासिल की है। ये बंदर नगर में अभी तलक सौ से ज्यादा बच्चों को घायल कर चुका था। इस बंदर का आतंक इतना था कि बच्चे अपने घरों से निकलने में भी डरने लगे थे। नगर की कई कॉलोनियों में इस बंदर की लगातार आवाजाही थी। 

कई बार उसने स्कूलों के अंदर भी बच्चों पर हमला किया। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता था, जब यह बंदर किसी बच्चे को नहीं काटता हो, वरना हर रोज कोई न कोई बच्चा इसका शिकार होता था। इतना सब कुछ होता रहा, लेकिन स्थानीय प्रशासन, जन प्रतिनिधि, वन विभाग और माधव नेशनल पार्क प्रबंधन इन बातों से अंजान बना रहा। जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। 

तमाम शिकायतों के बाद भी किसी ने भी बंदर को पकडऩे की कोई कोशिश नहीं की। ये बंदर अभी और आतंक बरपाता, यदि इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाईन में न होती। एक निजी कॉलेज के संचालक शाहिद खान, जिनके मासूम बच्चे शान अहमद खान को इस बंदर ने जुलाई महीने में काटा था, जब सब तरफ गुहार लगा-लगाकर थक गए, तब उन्होंने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की। हालांकि सीएम हेल्पलाइन से भी शिकायत के निराकरण में डेढ़ महीना लगा, पर समस्या का समाधान हो गया। 

इस संबंध में राजधानी भोपाल से जवाब तलब होने के बाद नेशनल पार्क प्रबंधन हरकत में आया और उसने इस बंदर को पकडऩे के लिए डॉ. जितेन्द्र जाटव के नेतृत्व में एक पूरी टीम बनाई। जिसने महल कॉलोनी में लगातार दो दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बंदर को अपनी गिर त में ले लिया। बंदर को टेऊंक्यूलाइजर करने के बाद, उसे जाल में पकडक़र नगर से कई किलोमीटर दूर अमोला की घाटी में छोड़ दिया गया। 

इस आतंकी बंदर के पकड़े जाने से भले की नगरवासियों ने राहत की सांस ली हो, लेकिन कुछ लोगों का अभी भी यह मानना है कि नगर में आतंक बरपाने वाला यह अकेला बंदर नहीं है, बल्कि कुछ बंदर और भी हैं, जो मासूम बच्चों पर हमला कर रहे हैं। यानी खतरा अभी टला नहीं है, इस तरह का रेस्क्यू अभियान यदि कुछ दिन और चले तब जाकर बंदरों के आतंक से नगर को मुक्ति मिलेगी। 

वहीं रेस्क्यू अभियान के प्रभारी डॉ. जितेन्द्र जाटव से जब इस संबंध में सवाल पूछा गया, तो उनका कहना था कि एक ही बंदर था, जो शहर में हंगामा बरपाये हुए था। इस बंदर के रेस्क्यू होने के बाद हमारा अभियान खत्म हो गया है।  

इनका कहना है
सब तरफ से निराश होकर मैंने सीएम हेल्पलाइन में अपनी शिकायत दर्ज की थी। मैं खुश हूं कि आखिरकार वह बंदर पकड़ा गया है, जिसकी वजह से नगर के इतने सारे बच्चों को बंदर के काटने का और रैबीज के इंजेक्शनों का दर्द सहना पड़ा।
शाहिद खान
पीडि़त पिता और शिकायतकर्ता

जंगली जानवरों में बंदर का रेस्क्यू करना इतना आसान काम नहीं। फिर रिहायशी इलाकों में यह काम और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। टेंऊक्यूलाइजिंग गन से निशाना साधते हुए ये देखना होता है कि निशाना सही जगह लगे। वरना दुर्घटना का डर लगा रहता है। हमारी टीम खुश है कि हमने दूसरे ही प्रयास में बंदर को टेंक्यूलाइज कर लिया।
डॉ. जितेन्द्र जाटव
रेस्क्यू टीम प्रभारी, माधव नेशनल पार्क, शिवपुरी
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