जैन समाज का आरोप: वेशकीमती जैन प्रतिमाये अधिकारीयों के कब्जे में, कर रहे है बंदरबाट

शिवपुरी। शिवपुरी में पुरा संपदाओं को संरक्षित करने की दृष्टि से राज्य शासन द्वारा खोला गया संग्रहालय वर्ष 2000 से बंद पड़ा है। संग्रहालय की वेशकीमती जैन प्रतिमायें अधिकारियों के बंगले की शोभा बढ़ा रही हैं। जिनमें से  बहुत सी प्रतिमाओं का बंदरबांट भी कर लिया गया है। 

उक्त आरोप लगाते हुए जैन महापंचायत ने आज कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव को भारतीय पुरातत्व सर्र्वेक्षण के महानिदेशक के नाम ज्ञापन सौंपा है। जिसमें संग्रहालय को शीघ्र खोले जाने की मांग करते हुए वहां से स्थानांतरित प्रतिमाओं को संग्रहालय में पुन: लाए जाने की मांग की है। वहीं पुरा संपदा को गायब करने वालों पर प्रकरण दर्ज करने एवं पुरा संपदा की फोटो ग्राफी और वीडियो ग्राफी की अनुमति दिलाए जाने की भी मांग की गर्ई है। 

जैन महापंचायत के महेन्द्र  जैन भैय्यन, महेन्द्र रावत, राकेश जैन आमोल और जिनेन्द्र जैन सहित कर्ई अन्य सदस्यों द्वारा कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि शिवपुरी स्थित संग्रहालय 16 वर्षो से बंद है। वर्र्ष 2003 में यह संग्रहालय राज्य पुरातत्व विभाग से केन्द्रीय पुरातत्व विभाग को हस्तांतरित किया गया है। दो वर्र्ष से भवन वन कर तैयार है लेकिन इसके बाद भी संग्रहालय दर्र्शकों के लिए नहीं खोला गया है। 

संग्रहालय में 12 वीं 13 वीं शताब्दी से लेकर 1990 तक की 773 प्रतिमायें एवं 1473 पुरावशेष तथा अन्य पुरासंपदायें थीं। इन प्रतिमाओं में से वर्र्तमान में 10 प्रतिमायें राजभवन में तथा 8 प्रतिमायें कार्र्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी, 5 प्रतिमायें वन मंडल अधिकारी और 4 प्रतिमायें पिछोर संग्रहालय में बतार्ई जा रहीं हैं। 

8 प्रतिमायें भोपाल संग्रहालय, 4 प्रतिमायें राजगढ़ संग्रहालय में भेजी गर्ई है जबकि 5 प्रतिमायें चोरी चली गर्ई हैं। जानकारी से यह भी स्पष्ट हुआ है कि पीडब्ल्यूडी और नेशनल पार्र्क को सौंपी गर्ई 13 प्रतिमाओं में से 3 प्रतिमायें ही देखने को मिली हैं। इससे प्रतीत होता है कि कथित अधिकारियों ने प्राचीन प्रतिमाओं का अपनी मर्जी से बंदबांट कर लिया है। ऐसे अधिकारियों और कर्र्मचारियों पर प्रकरण दर्ज कर उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्र्रवार्ई की जाए और प्रतिमाओं को बरामद किया जाए।