
जिसके बाद कोलारस एसडीएम आरके पाडें ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को प्रशासनिक अमले के साथ झोलाछापो पर कार्यवाही की गाज गिरा दी और जिसके बाद कार्यवाही में मौजूद अफसर अपनी पीठ थपथपाने में लग गए।
लेकिन उनकी कार्यवाही की हवा जब निकल गई जब जगतपुर में बीचो बीच बीते शनिवार को सील बंद की गई दुकान को कार्यवाही के 48 घंटे बीतने के साथ ही दुकान खोलकर बैठ गया और बेखौफ होकर मरीजो का इलाज करना शुरू कर दिया। जनचर्चा में विषय बन गया कि मात्र 4 घटें में झोलाछाप डॉक्टर कैसे एमबीबीएस बन गया।
प्रशासन द्वारा पहले दुकान सील करना फिर कुछ घंटे बाद खुलना यह बात लोगो को हजम नही हो रही है। और लोग इसे दीपावली की बसूली से जोडक़र देख रहे है। जबकी यह कार्यवाही कोलारस एसडीएम के निर्देश पर हुई थी उन्होने 4 दुकानो को बंद करना बताया था और कार्यवाही का क्रेडिट भी लिया था लेकिन इस सील बंद दुकान का खुलना इस पर सस्पेंस बना हुआ है। फिलहाल कोलारस के बड़े अधिकारी इस पर कुछ कहने से बच रहे है। और अपनी बला एक दूसरे पर टाल रहे है।
जिससे यह पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है और इसपर कई सबाल भी सामने आ रहे है। साथ ही दूर से लेन देन की बू भी उड़ती नजर आ रही है। आखिर किसके इशारे पर दुकान कार्यवाही के चंद घंटे बाद ही खोल ली गई।
अगर प्रशासन का इसमें हाथ नही है। तो यह कानूनी कार्य में दखल है। और इस तरह शासन द्वारा सील दुकान को बिना अनुमती के खोलना आपराधिक श्रेणी में माना जा सकता है। अब देखना ये है। की प्रशासन किस तरह से इस संदिग्ध झोलाछाप पर कार्यवाही करता है। और अपनी साख बचाने में कामयाब होता है। और संदिग्ध पर आपराधिक मामला दर्ज होता या नही।
इनका कहना है
मामला मेरे संज्ञान में नही है। अगर दुकानें खुली है। तो वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
डॉ. हरीश आर्य
बी.एम.ओ. कोलारस