शिवपुरी जिला, कलेक्ट्रेट से ऑपरेट होता है या सरस्वती विद्या पीठ से

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शिवपुरी। डीपीसी शिरोमणि दुबे और शिक्षक अफाक अहमद का विवाद ने इस समय कई सवालों को खड़ा कर दिया है। इस विवाद के चलते शिवपुरी के इतिहास में पहली बार कलेक्टर के खिलाफ विभागीय विद्रोह हो गया। इस विद्रोह ने एक सवाल को खड़ा कर दिया कि शिवपुरी जिला, कलेक्ट्रेट से ऑपरेट होता है या सरस्वती विद्या पीठ से.......आईए इस मामले का शिवपुरी समाचार डॉट कॉम पर एक्सरे करते है। 

जैसा के विदित है कि डीपीसी शिरोमणि दुबे और शिक्षक अफाक अहमद के विवाद के चलते शिक्षक अफाक अहमद को निलबिंत कर दिया गया। निलबिंत शिक्षक के समर्थन में सयुंक्त कर्मचारी मोर्चा उतर आया और डीपीसी सहित पूरी की पूरी डी-कंपनी के खिलाफ 14 सूत्रीय मांगो को लेकर कार्रवाई हेतु ज्ञापन सौंप दिया। समयसीमा में कार्रवाई नहीं हुर्इी तो मोर्चा धरने पर बैठ गया। 

इस धरने के परिणाम स्वरूप कलेक्टर राजीव चंद्र दुबे ने डीपीसी की प्रतिनियुक्ति की जांच के आदेश दिए। डी-कंपनी को इसकी उम्मीद नहीं थी। आनन फानन में शिवपुरी कलेक्टर पर दबाव बनाने के लिए डीपीसी ने कलेक्टर शिवपुरी के विरूद्व एक विद्रोह को हवा दी जो शिवुपरी के इतिहास में पहली बार हुआ है। 

जांच आदेश के एक दिन बाद राज्य शिक्षा केन्द्र के बीआरसीसियों ने स्कूल चलें हम ​अभियान की मीटिंग के नाम पर जिले के तमाम प्राइमरी शिक्षकों एवं अध्यापकों को शिवपुरी आने का न्यौता दे डाला। जब जिले भर के तमाम कर्मचारी मीटिंग के नाम पर जिला मुख्यालय पर पहुंचे तो उन्हें हाथों में बैनर थमा दिए और रैली निकाल डाली। यह रैली डीपीसी के समर्थन में और स्वभाविक रूप से कलेक्टर के विरोध में थी। आयोजक कोई संगठन नहीं बल्कि राज्य शिक्षा केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे कर्मचारी थे। रैली की प्रशासनिक अनुमति भी नहीं थी। 

डीपीसी के समर्थन में जैसे ही राज्य शिक्षा केन्द्र के आध्यपको और शिक्षको ने रैली निकाली, सीधा-सीधा जिले का शिक्षा विभाग दो फाड हो गया। डी-कंपनी के समर्थकों ने यह आरोप भी लगाया कि कुछ कर्मचारी नेताओ ने चौराहे पर उन्है रैली में जाने से रोका। अगर रोका गया था, आपकी आजादी को बाधित किया गया तो विधिवत शिकायत करनी थी परन्तु ऐसा नही हुआ है सिर्फ आरोप ही लगाए गए। 

संयुक्त कर्मचारी मोर्चे ने इस रैली को अवैध करार देते हुए प्रशासन का कल शाम को एक ज्ञापन भी जड़ दिया कि इस रैली मे आए तमाम कर्मचारियों पर कार्यवाही होना चाहिए। यह रैली गैरकानूनी थी एवं कर्मचारियों ने मप्र शासन के खिलाफ विद्रोह वाला कदम उठाया है। 

अब सवाल यह उठ रहाहै कि कर्मचारी जिस शासन के नौकर है, वे शासन के खिलाफ विद्रोह कैसे कर सकते है, वो भी एक ऐसे अधिकारी के लिए जो इस पूरे ऑपरेशन को सरस्वती विद्या पीठ में बैठकर ऑपरेटर कर कर रहा हो। जिस पर गंभीर आरोप मनमानी के लिए लगते हो और उस अधिकारी के लिए जिसने शिक्षकों को इस देश का गद्दार और सिमी कार्यकर्ता निरूपित कर दिया हो। 

खबर यह भी आ रही है कि आप के जिला संयोजक एवं एडवोकेट पीयूष तिवारी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर हाईकोर्ट की शरण में जाने वाले है। उनका कहना है कि डीपीसी द्वारा शिक्षकों देश का गद्दार और सिमी कार्यकर्ता जैसा एक गंभीर अपराध है। यह वीडियो भी वायरल हो चुका है। और इस वीडियो में डीपीसी के कथन को स्पष्ट सुना जा सकता है। इस मामले को लेकर वह न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे है। यह डीपीसी के लिए बडा संकट हो सकता है। 

सूत्र बता रहे है कि कलेक्टर शिवपुरी भी कर्मचारियों के विद्रोह से नाराज है। इस विद्रोह से जनमानस और जिले के वे तमाम कर्मचारी जो इस विवाद से कोसो दूर हैं उनके मन में यह सवाल खडा हो रहा है कि यह जिला कलेक्ट्रेट से ऑपरेट होता है सरस्वती विद्या पीठ से ? अब इस विवाद ने कलेक्टर दुबे और डीपीसी दुबे को भी आमने-सामने खडा कर दिया है। 

अगर जांच में यह रैली अवैध पाई गई और राज्य शिक्षा केन्द्र के इन तमाम कर्मचारीयों पर कार्यवाही होती है। सूत्र बता रहे है कि शासन द्वारा वीडियो खंगाला जा रहा है। कर्मचारी चिन्हित किए जा रहे है। कार्यवाही हो सकती है, तो डीपीसी अपने आप को अकेला खडा पाऐंगें। यह कार्यवाही अवश्य होनी चाहिए, नही तो भविष्य मे भी कर्मचारी ऐसा विद्रोह कर सकते है। 

सूत्र यह भी कह रहे है डीपीसी के खिलाफ जो आज तक शिकायतें हुए है और उनके खिलाफ जो भी खबरे छपी है। उनके वह बयान जिसमे वह कहते है मैं आरएसएस का आदमी हूं, मेंरा कोई कुछ भी नही बिगाड सकता और इस बयान को वह वीडियो जिसमें वे शिक्षको को गद्दार और सिमी के कार्यकर्ता बता रहे है। इन सबका पुलंदा उनके हैड क्वाटर भेजा जा रहा है। हैड क्वाटर मतलब नागपुर भेजा जा रहा है और यह डीपीसी के लिए गंभीर संकट साबित हो सकता है क्यो कि कहते है कि बरगद कितना भी बडा हो वह गमले में नही टिक सकता है। 
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