
कोतवाली पुलिस ने इस मामले में फरियादी चतुर्भुज चौधरी पुत्र आरसी चौधरी क्षेत्रीय प्रबंधक फाईनेंशियल सॉ टवेयर सिस्टम की रिपोर्ट पर आरोपियों के विरूद्ध भादवि की धारा 420 और 34 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी की गिर तारी स्टेट बैंक की सिक्योरिटी एजेंसी ने उस समय की थी जब वह तथा उसके साथी एटीएम से पैसे निकाल रहे थे। लेकिन आरोपी सकुरूद्दीन क दो अन्य साथी कार में सवार होकर भाग निकलने में सफल रहे।
इस मामले में बैंक के अधिकारियों ने पुलिस को बताया कि स्टेट बैंक के एटीएम में पैसे डालने का कार्य सिक्योरिटी एजेंसी के पास है। एटीएम का माह में दो बार 10 और 22 तारीख को ऑडिट होता है तथा 22 मई को ऑडिट होने पर पता चला की बड़ौदी एटीएम से 5 लाख 19 हजार 800 रूपए गायब हो गए हैं।
बैंक प्रबंधन इस मामले में पशोपेश में था, लेकिन 28 मई को दतिया में हैकर सकुरूद्दीन की गिर तारी और उससे पूछताछ में स्पष्ट हुआ कि हैकर्स ने शिवपुरी, ग्वालियर और दतिया के एटीएम को हैक कर लाखों रूपए की राशि उड़ाई है।
पूछताछ में सकुरूद्दीन ने स्वीकार किया कि उन्होंने शिवपुरी के स्टेट बैंक के एटीएम से 14 मई और 21 मई को 5 लाख 19 हजार 800 रूपए की राशि एटीएम हैक कर उड़ाई है। आरोपी ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने ग्वालियर के एटीएम से 4 लाख 65 हजार रूपए और दतिया के एटीएम से 2 लाख 70 हजार रूपए निकालने में सफलता हांसिल की थी।
दतिया कोतवाली टीआई अजय भार्गव ने बताया कि पुलिस आरोपी को पलबल ले गई है। जिससे इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सके। पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपियों से पूछताछ में और भी कई एटीएम हैक कर राशि उड़ाने के मामले सामने आ सकते हैं।
इस तरह से निकाले एक ही दिन में एक लाख 90 हजार रूपए
एटीएम से एक दिन में 40 हजार रूपए से ज्यादा की राशि नहीं निकाली जा सकती लेकिन हैकर्स ने दतिया के एटीएम से एक ही दिन में 1 लाख 90 हजार रूपए निकाल लिए। महावीर सैनी के नाम के इस एटीएम से 19-19 हजार रूपए की राशि एक ही दिन में दस बार निकाली गई।
आखिर यह कैसे संभव हुआ। इस बारे में पुलिस सूत्रों ने बताया कि जैसे ही एटीएम से हैकर्स राशि निकालते थे और पैसे निकलना शुरू होते थे। वैसे ही प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही हैकर्स एटीएम बंद कर देते थे और बाद में एटीएम के आधे अंदर और आधे बाहर नोट हाथ से खींचकर बाहर निकाल लेते थे। क्यों कि प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती थी। इस कारण खातेदार के खाते से राशि भी नहीं कटती थी।