
अभी तो आदिम जाति कयाण विभाग की कुर्सी संभाले नव नियुक्त प्रभारी बी.के.माथुर को चंद दिन भी नहीं हुए कि उनकी इस नियुक्ति को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे। हालांकि शुरू से ही इस मामले में कलेक्टर ने शासन के नियम निर्देशों को धताकर यह काम किया था इसलिए और यह मामला तूल पकड़ गया।
ताजातरीन बात हो रही है जिला पंचायत में आयोजित साधारण सभा की बैठक का, जिसमें सदस्यों ने खुलकर हंगामा किया और आदिम जाति कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार व मनमर्जी के कार्यों को करने के आरोप लगाए गए। इसके बाद बैठक में आदिम जाति कल्याण विभाग में मचे भ्रस्टाचार पर मुखर हुए सदस्यों ने कहा की विभाग में बिना कमीशन लिए कोई काम नहीं होता।
इसके अलावा सहरिया अभिकरण का बाबू तो पिछले दरवाजे से ही काम करने के एवज में डीलिंग कर जाता है। सदस्यों ने कहा की कलेक्टर ने इतने महत्वपूर्ण विभाग को अपने हाथों की कठपुतली बना रखा है उन्होंने जिला संयोजक के पद पर राजपत्रित अधिकारी की जगह तृतीय श्रेणी बाबू माथुर को पद पर बैठाकर अपनी कौन सी कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया है!
मानचित्रकार बीके माथुर की नियुक्ति पर गुस्साए सदस्य
जिला संयोजक आदिम जाति के महत्वपूर्ण पद पर ड्रा टमैन (मानचित्रकार)बाबू बी.के. माथुर को प्रभार मिलने पर गुस्साए सदस्यओं ने कहा तत्काल योग्य व्यक्ति को प्रभार सौंपा जाये। विभाग में गत वित्तीय बर्ष में तिरपाल खरीदी के नाम पर नियमों की अनदेखी के साथ ही व्यापक पैमाने पर ष्र्टाचार हुआ है साथ ही स्वीकृत हुए निर्माणकार्यों की जाँच प्रदेश की उच्चस्तरीय एजेंसी से करवाई जाये।
सदस्यों ने एक राय से कहा की बड़े अधिकारी ने गरीबों के कल्याण की योजनाये कैसे निपटाई जाऐं, केवल इसी मंशा से अयोग्य को जिला संयोजक पद पर बैठाकर अपने मंसूबे साधने कृत्य किया गया है।