
जिसमें बूढ़दा ग्रुप का 23 फरवरी को होने वाला पुर्निष्पादन इसका प्रमाण है। कि शराब ठेकेदारों को किस हद तक इस वर्ष नुकसान उठाना पड़ा है।
वहीं घाटा उठाने वाले दुकान चलाने वालो की हालत यह है कि वह न तो रिन्यूबल में रिस्क उठाना चाहते है न ही नई आबकारी नीति 2016-17 के 3 मार्च को होने वाले टेन्डरो में भाग लेना चाहते है।
वहीं आबकारी विभाग का कहना है कि वर्ष 2016-17 के लिये होने 3 मार्च 2016 को टेन्डरों की पूर्ण तैयारी की जा चुकी है जिसका क्रियान्वयन आबकारी नीति अनुसार निर्धारित कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है।
इस बीच स्थानीय ठेकेदारों में ल बे घाटे के चलते भले ही दिल चस्वी न बची हो, मगर यू.पी. के ठेकेदारों द्वारा समीप जिला होने के नाते अच्छी खासी दिल चस्वी दिखाई जा रही है। देखना होगा की महंगी हो चुकी दुकानों में से वर्ष 2016-17 के लिये कितनी उठ पाती है और कितनी रह जाती है।