
क्यों किया संदेह
अखबार ने लिखा है कि 30 जनवरी को जिले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का दौरा था तो उस दिन चंदन गड़रिया का एनकाउंटर हआ। 12 फरवरी को मंत्री यशोधरा राजे जिले में थी तो चंदा गड़रिया की गिरफ्तारी बता दी गई। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पुलिस पदक पाने के लिए 64 दिन में एक गिरोह तेजी से पैदा किया गया और उतनी ही तेजी से खत्म भी कर दिया गया।
तो क्या ये है टंटे की जड़
चंदा मीडिया से बात करना चाहती थी लेकिन पुलिस ने बात नहीं करनी दी। जेल में भी उसका कोई इंटरव्यू नहीं कर सकता है और न ही उसका चेहरा दिखा सकता है। चंदन गड़रिया गिरोह के किसी भी सदस्य से मीडिया सीधी बात नहीं कर सकी। ऐसे में इस गिरोह के 64 दिन में शुरू और खत्म होने की कहानी पर सस्पैंस ही बना हुआ है।