शिवपुरी। भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष पद के लिए सुशील रघुवंशी इसलिए जिलाध्यक्ष बनने में सफल रहे क्योंकि उनके नाम पर भाजपा के दोनों वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह तोमर और यशोधरा राजे एकजुट हो गए। जिसके कारण स्थानीय स्तर पर सुशील रघुवंशी के विरोध का कोई असर नहीं रहा और श्री रघुवंशी विरोधी कार्यकर्ता और नेता भी उनके नाम पर सहमति देने के लिए विवश हो गए।
क्योंकि एक तो उनके पास वरिष्ठ नेताओं का समर्थन नहीं था और दूसरे निर्वाचक मंडल के 30 सदस्यों में भी उनके पास बहुमत से काफी कम सं या थी। श्री रघुवंशी का विरोध इसलिए भी प्रवल नहीं हो पाया क्योंकि भाजपा के दोनों खेमों ने उनके नाम का पूर्व में ऐलान नहीं किया था। चूंकि जिलाध्यक्ष पद के लिए किसी का नाम सामने नहीं आया इसी कारण रघुवंशी विरोधी नेता भी वैकल्पिक नाम नहीं दे पाये।
शिवपुरी जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष पद का चुनाव जिस तरह से हुआ है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि श्री रघुवंशी के नाम पर पूरी पार्टी एकजुट थी। लेकिन यर्थाथ में ऐसा नहीं था। स्थानीय भाजपा में उनके विरोधी उनके विधानसभा क्षेत्र कोलारस में ही थे।
इस विधानसभा क्षेत्र के दो पूर्व विधायक तथा उनके समर्थक श्री रघुवंशी के स्थान पर किसी अन्य की ताजपोशी चाहते थे। पोहरी के एक पूर्व विधायक तथा पार्टी के जिला महामंत्री भी चाहते थे कि श्री रघुवंशी के स्थान पर किसी अन्य नेता की ताजपोशी हो जाए। लेकिन रघुवंशी विरोधियों को वरिष्ठ नेताओं का समर्थन नहीं मिल सका।
जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी का मजबूत पक्ष यह था कि आठ माह पूर्व ही उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया था। जिलाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे उनका पक्ष कमजोर जान पड़े बल्कि अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के पश्चात उन्होंने अपने आपको गुटीय दृष्टि से निर्लिप्त साबित किया।
जिले की राजनीति में दोनों विपरीत खैमो के बीच ठीक तरह से संतुलन स्थापित करने में भी वह सफल रहे। एक ओर जहां उन्होंने अपने खैमे का विश्वास जीता और नरेन्द्र सिंह तोमर तथा पूर्व जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत की कसौटी पर अपने आपको खरा साबित किया।
वहीं उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का भरोसा जीतने में भी वह सफल रहे। श्री रघुवंशी यशोधरा राजे के शिवपुरी में हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे। श्री रघुवंशी पार्टी कार्यकर्ताओं का अपनी विनम्रता के बलबूते भरोसा जीतने में सफल रहे। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में भी श्री रघुवंशी अपने समर्थकों को चुनावाये जाने में सफल रहे।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा के 15 मंडल अध्यक्षों और 15 जिला प्रतिनिधियों में से लगभग तीन चौथाई का समर्थन उन्हें हांसिल था। इस कारण उनके विरोधी उनके मुकाबले हर दृष्टि से कमजोर थे। न तो उनके पास वरिष्ठ नेताओं का समर्थन था और न ही वोटरों का गणित उनके पास था।
इसके बाद भी चुनाव के दौरान कोशिश की गई कि चुनाव अधिकारी से वरिष्ठ नेताओं और मतदाताओं की वन-टू-वन चर्चा कराई जाए। यह बात सामने भी आई, लेकिन प्रारंभ में ही नरवर मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र रावत ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जिसे भी कहना है वह सामने कहे।
उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष पद के लिए वह सुशील रघुवंशी के नाम के समर्थक है। उन्होंने कहा कि जो भी श्री रघुवंशी के नाम का समर्थन करता है वह खड़ा होकर अपना समर्थन व्यक्त करे।
उनके इतना कहते ही करैरा, नरवर, पोहरी, शिवपुरी, कोलारस के मंडल अध्यक्ष सहित अनेक जिला प्रतिनिधि उठ खड़े हुए। सभी ने कहा कि वह सुशील रघुवंशी की नियुक्ति चाहते हैं। इस पर चुनाव अधिकारी ने कहा कि श्री रघुवंशी के अलावा यदि अन्य कोई नाम है तो उसे बताया जाए।
लेकिन गणित श्री रघुवंशी के पक्ष में देखकर विरोधी नतमस्तक हो गए और उनके सामने भी सुशील रघुवंशी की उ मीदवारी का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
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