अबोध बालिका के बलात्कारी को सात वर्ष का सश्रम कारावास

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शिवपुरी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीके श्रीवास्तव ने नाबालिग तथा पूर्ण रूप से बातचीत नहीं करने वाली बालिका के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी सुखुआ उर्फ खु खा पुत्र मोहनलाल कोली को दोषी मानते हुए सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 

इस सजा के साथ-साथ एक-एक हजार रूपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है। न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा है कि बलात्कार का शिकार हुई बालिका की उम्र आरोपी की उम्र से एक चौथाई है। इस कारण वह दया का पात्र नहीं है। 

न्यायालय ने आरोपी को भादवि की धारा 376 के तहत दोषी पाते हुए सात वर्ष के कारावास और एक हजार के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है। 

वहीं धारा 4 लैंगिक अपराधों का संरक्षण अधिनियम के तहत भी उससे सात वर्ष का कारावास और एक हजार रूपए के अर्थ दण्ड से दण्डित किया है। लेकिन दोनों सजायें एक साथ चलेंगी। 

न्यायाधीश ने आरोपी को भादवि की धारा 506 बी के आरोप से दोष मुक्त कर दिया हैं। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक मदन बिहारी श्रीवास्तव ने की है। 

अभियोजन की कहानी के अनुसार फरियादिया श्रीमती सुनीता बाई जो कि बलात्कार का शिकार हुई बालिका की माँ ने गोवर्धन थाने आकर 23-12-2014 को रिपोर्ट लिखाई कि वह अपने पति तथा नाबालिग पुत्री के साथ 20 दिस बर 2014 को जब सो रही थी तो रात में उसने देखा कि उसकी बालिका कमरे में नहीं है। 

जब उसने खोजबीन की तो उसकी पुत्री उसके पुत्र के कमरे में मिली चूंकि वह तुतलाती है तथा ठीक ढंग से बोल नहीं पाती है। सुनीता बाई ने कहा कि वह अपनी पुत्री के इशारों को समझती है। 

उसकी पुत्री ने बताया कि 20 दिस बर की रात को आरोपी उसे स्कूल के पास पीपल के पेड़ के नीचे ले गया जहां उसके साथ बलात्कार किया तथा रिपोर्ट करने पर जान से मारने की धमकी दी। 

पुलिस ने इस मामले में आरोपी के विरूद्ध भादवि की धारा 376, 506 बी और 4 लैंगिक अपराधों का संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिर तार कर चालान न्यायालय में पेश किया। 
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