अपने भी हुए पराए: सारा शहर मुन्ना के खिलाफ

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शिवपुरी। नगर पालिका अध्यक्ष मुन्ना लाल कुशवाह को दुश्वारियां चुनाव में विजयी होने के कुछ महीनों बाद ही बढऩा शुरू हो गई थी। जिन लोगों ने मुन्ना लाल के चुनाव प्रचार में अपनी जान फूंकी थी।

वह लोग मुन्ना लाल से दूरियां बनाने लगे है। कांग्रेस संगठन की हालत मुन्ना लाल के चुनाव प्रचार में जो एकजुटता की थी वह धीरे-धीरे विखण्डित होती दिखाई देने लगी है।

अपनी पार्टी की दुश्वारियों को मिटाते-मिटाते नपाध्यक्ष मुन्ना लाल कुशवाह अब सरकार के निशाने पर भी आ गए है। शहर की सड़कों को लेकर जो दुर्गति है उसे मिटाने के लिए जिस फर्म को लेकर काम देने की बात चल रही थी तमाम विरोधाभासों के बाबजूद भी मुन्ना लाल कुशवाह ने उसी फर्म को दुरूस्ती का कार्य दिया है।

अब जबकि काम चालू नहीं हुआ तो कलेक्टर राजीवचन्द्र दुबे ने मुन्ना लाल को नोटिस जारी करके परेशानी में डाल दिया है। कांग्रेस संगठन के बाद नगर पालिका अध्यक्ष अब सरकार का विश्वास भी खोते नजर आ रहे है।

नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में आरक्षण के दौरान पिछड़ा वर्ग से राजनैतिक दलों को अपने प्रतिनिध मैदान में उतारने थे। मुन्ना लाल कुशवाह के अलावा कई लोग कांग्रेस पार्टी की ओर से मैदान में थे लेकिन अंतत: सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके सिपाहसलारों ने मुन्ना लाल कुशवाह और उनकी पैरवी करने वालों पर भरोसा जताया।

शहर की जनता ने भी एक लंबे कार्यकाल के बाद कांग्रेस समर्थित उ मीदवार को अपना प्रथम नागरिक चुना। इस चुनाव में जिन लोगों ने अपनी महती भूमिका अदा की वही लोग मुन्ना लाल की कार्यप्रणाली से परेशान होना शुरू हो गए और बात सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिय तक पहुंच गई।

सांसद सिंधिया ने भी अपने विश्वसनीय सलाहकारों को यह हिदायत दी कि मुन्ना लाल का सहयोग करना है बाबजूद इसके आज कांग्रेस का अधिकांश कार्यकर्ता मुन्ना लाल के खिलाफ बना हुआ है बल्कि यह कहा जाए कि जिस कोठी से इनका जन्म हुआ था, वहां भी मुन्ना लाल की साख अब वह नहीं रही है।

इन दुश्वारियों के चलते यह खबर भी उस दौरान सुनने में आई थी कि जब कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने नगर पालिका की मीटिंग में जाकर शहर के पार्षदों के साथ चर्चा की तो यह संदेश निकलकर आया कि अंतोगत्वा मुन्ना लाल, यशोधरा राजे के अनुरूप कार्य करेंगें।

लेकिन कलेक्टर का नोटिस देना यह साबित करता है कि मुन्ना लाल कुशवाह अब सरकार के निशाने पर भी है हालांकि कलेक्टर ने यह नोटिसबाजी करके हाईकोर्ट में अपने आप को बचाने का प्रयास भी किया है लेकिन जनप्रतिनिधि के तौर पर इस नोटिसबाजी से मुन्ना लाल कुशवाह की साख और नीचे आई है।

यह घटनाक्रम अपने आप ही तैयार नहीं हुए इनके जन्मदाता भी स्वयं मुन्ना लाल कुशवाह है जिस लचर प्रशासनिक व्यवस्था से वह नगर पालिका को चलाना चाहते है।

अद्र्वशासकीय संस्थाऐं ऐसे हालातों में परिणाम नहीं दे पाती। प्रशासनिक अधिकारी पूरी तरह से हावी होते है जो शिवपुरी नगर पालिका में दिखाई देने लगा है। उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा और मुन्ना लाल कुशवाह के बीच भी वह ताल-मेल एक साल में नहीं बन पाया जिससे नगर पालिका संचालन में मदद मिलती।

अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति में सारे जनप्रतिनिधि लग गए है और जनता परेशान हो रही है। यह हालात इस बात के संकेत भी करते है कि ढाई वर्ष बाद शिवपुरी नगर पालिका के मामले में कोई एक बड़ा निर्णायक काम होगा जिससे शेष ढाई साल के लिए नगर पालिका सरकार के हिसाब से चल सके।
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