शिवपुरी। सूखे पर अब राजनीति हरियाने लगी है। सूखे को लेकर कांग्रेस भाजपा पर चौतरफा हमला कर रही है, केपी सिंह ने पत्रकारों से कहा कि पिछोर तहसील में आने वाले शिवपुरी विधानसभा के गांव जिन में राजे हारी है वह सूखा ग्रस्त घोषित नही किए गए।
पिछोर विधान सभा के विधायक केपी सिंह ने मंत्रीयो को सलाह देते हुए कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के चलते बर्बाद हुई किसानों की फसल का सर्वे हुआ नहीं, सीएम जब विदेश से लौटकर आए तो सभी जिलों से चार दिन के भीतर आनन फानन में सर्वे रिपोर्ट तैयार कर भेज दी गईं बाद में सर्वे का री-सर्वे कराना पड़ रहा है ऐसे में मेरी गुजारिश है प्रदेश के मंत्रियों से कि वह अपने-अपने जिलों में जाकर खुद सर्वे करें
मंत्री किसानों की पीड़ा सुनने पिछोर जाए
किसानों को आईएएस ऑफिसरों और तहसीलदारों के भरोसे न छोड़े जिन लोगों ने पहले गलत रिपोर्ट भेजी थी, वह अब अपनी ही रिपोर्ट को कैसे बदलेंगे। भाजपा के मंत्री जनता के प्रतिनिधि हैं, इसलिए उनका इतना नैतिक दायित्व तो बनता है कि वह किसान की पीडा सुनने उनके यहां जाए।
मंत्री अपने जिले के किसानों को नही दिला पा रहे न्याय
मेरा प्रदेश सरकार के मंत्रियों पर सीधा सीधा आरोप है कि वह अपने ही जिलों के किसानों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं बकौल केपीसिंह जिले की हर तहसील में मंत्री यशोधरा राजे सहित प्रभारी मंत्री कुसुम महदेले के दौरे के लिए खनियांधाना व पिछोर में ब्लॉक कांग्रेस अनिश्चितकालीन धरना सोमवार 26 अक्टूबर से करेगी।
उनके अनुसार उन्होंने कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव से बात की है कि जिले की हर तहसील में इस तरह के धरने शुरू किए जाएं वह जल्द ही सभी ब्लॉक अध्यक्षों से इस संबंध में बात करेंगे।
केपीसिंह का कहना था कि उनकी नहीं मानीं गईं तो वह एक दिस बर से शुरू होने वाली विधानसभा में इस मुद्दे को उठाएंगे
यशोधरा राजे द्वारा पांच तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने संबंधी प्रेसनोट जारी करवाने और कलेक्टर द्वारा सभी तहसीलों केा सूखाग्रस्त घोषित न करने की बात पर उनका कहना था, जिले में खराब फसल का सर्वे हुआ नहीं, सीएम के लौटने पर आनन-फानन में प्रस्ताव बनाकर भेजे गए न तो यशोधरा राजे के पास कोई तथ्य था और न कलेक्टर के पास।
राजे पर लगाया भेदभाव का आरोप
केपीसिंह ने प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने सर्वे के दौरान पिछोर तहसील में आने वाले अपनी विधानसभा क्षेत्र के गांवों को ही छोड दिया केपी के अनुसार उन्हें लगता है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उन गांवों से वह चुनाव में हारीं थीं उन्हें उन गांवों का भी खुद जाकर सर्वे करना चाहिए और वहां की स्थिति जानकर वहां के लोगों को भी न्याय दिलाना चाहिए।
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